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________________ [ ३४ ] ऊँचा-नीचा कह रहे हो-इसे मैं स्वीकार नहीं करता । तो ब्राह्मण ! यह बातें तुम ही को मिल रही है । ब्राह्मण ! जो खोटी बातें कहने वाले को खोटी बातें कहता है, क्रुद्ध होने वाले पर क्रुद्ध होता है, ऊँचा-नीचा कहने वाले को ऊँचा-नीचा कहता है-वह आपस का खिलाना-पिलाना कहा जाता है। मैं तुम्हारे साथ आपस का खिलानापिलाना नहीं करता । तुम्हारे दिए का मैं उपयोग ही नहीं करता। तो ब्राह्मण ! यह बातें तुम ही को मिल रही है, तुम ही को मिल रही है। ऋद्ध नर के लक्षण : ___ कौन व्यक्ति कैसा है ? यदि मुझसे ऐसा प्रश्न पूछा जाए तो मैं कहूँगा कि 'जब वह व्यक्ति जिसके बारे में प्रश्न पूछा गया है, क्रोध में हो, तो इस प्रश्न का उत्तर वह स्वयं दे देगा। व्यक्ति का मूल्यांकन उसके व्यक्तित्व पर आधारित है। क्रोध उसके व्यक्तित्व को परखने के लिए एक अवसर प्रदान करता है। क्रोध में व्यक्ति अपने अन्दर छिपे उन भावों को व्यक्त करता है, जो अधिकांशतः विकृत एवं असंस्कृत होते हैं। अतः उनका आन्तरिक संस्कार कैसा है, वह उन भावों के साथ प्रगट हो जाता है। क्रोध आठ दुर्गुणों को जन्म देता है १. चगली, २. दुःसाहस, ३. वैर, ४. ईर्ष्या, ५. दूसरे के दोषदर्शन, ६. अयोग्य धन का विनिमय, ७. कठोर वचन, ८. क्रूर बरताव । __ क्रोध में व्यक्ति अपने आपका विस्मरण कर बैठता है। उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। उसका खून खौलने लगता है। उनकी आँखें रक्तवर्णी हो जाती हैं। उसके मुख पर रौद्रता प्रतिबिम्बित होती है। उसके शारीरिक अवयवों की गति विचित्र-सी हो जाती है। ऐसा एहसास होता है, मानो उसकी देह ने आग पकड़ ली हो। अधिक क्या, वह मानुषिक आकृति में भी पाशविक प्रकृति से युक्त होता है । क्रोधित नर के लक्षणों को स्पष्ट करते हुए कहा गया है भ्रूभंगभंगुरगुरमुखो विकरालरूपो, रक्तैझगो दशनपीडितदंतवासाः। त्रासंगतोति मनुजो जननिद्यवेषः, क्रोधेन कम्पिततनुर्भवति राक्षसो वा ॥ १. संयुत्तनिकाय, ७.१.२--३ २. मनुस्मृति, ७. ४८ ३. संस्कृत श्लोक संग्रह, ५४.१६ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003966
Book TitleKshama ke Swar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJain Shwetambar Shree Sangh Colkatta
Publication Year1984
Total Pages54
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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