________________ 'कोऽहं' महावीर का यह जो प्रश्न है, शायद यह उनकी परंपरा के किसी भी जैन ने अपने आपसे नहीं किया होगा। इसलिए पिछले पच्चीस सौ साल में इस परंपरा में दूसरा कोई महावीर पैदा नहीं हुआ। यदि किसी ने यह प्रश्न किया, तो निश्चित तौर पर वह अध्यात्म-पुरुष बना, अध्यात्म का अमृत उसने उपलब्ध किया। आनंदघन जैसे योगसिद्ध साधक तो बहुतेरे हुए, किन्तु महावीर की इस ध्यान-पद्धति से गुजरने वाला एक इंसान हुआ, भाई श्री राजचन्द्र/नहीं त्यागी इस व्यक्ति ने धोती-कमीज, नहीं। पहना सन्त का वेश, लेकिन एक बात तय है कि इस प्रश्न को उन्होंने बैतरह-बखूबी जिया। मात्र तैतीस वर्ष की उम्र में यह महात्मा चल बसा, लेकिन जाने से पहले जीवन, जगत का जवाब ले गया। - श्री चन्द्रप्रभ, 'शिवोऽहम से Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org