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________________ आचार-व्यवहार हो देशकालानुरूप अन्धविश्वास वर्धमान होते जाते हैं। जब तक ये अन्धविश्वास समाप्त नहीं होंगे तब तक धर्म का प्रकाश विस्तार नहीं पा सकता। सचमुच अन्धविश्वास के अन्धियारे को दूर करने के लिए विवेकशीलता का चिराग अपेक्षित है। तुम उत्साह की बात करते हो मगर बेलगाम घोड़ा है ज्ञानरहित उत्साह । उत्साह सही हो अन्यथा क्षति ही क्षति है अन्धे उत्साह से अन्धा उत्साह और अन्धा विश्वास दोनों बिना लगाम के घोड़े हैं। उस घोड़े पर बैठकर भीड़ भरे राजपथ पर दौड़ना खतरे से भरा है। जो लोग अन्धे को मार्गदर्शक बना लेते हैं, वे अभीष्ट रास्ते से भ्रमित हो जाते हैं। लकीर के फकीर भी अन्धे होते हैं। वे दूसरों की आँखों के आश्रित होते हैं। जानते हैं आप कि लीक, लीक कौन चलता है ? अन्धनिष्ठावान चलता है लोक-लीक। लोक-लीक गाड़ी चले, लोक ही चले कपूत । लोक छोड़ तीनों चलें, शायर, सिंह सपूत ॥ अतः हमें अन्धविश्वासों को खदेड़ना है। हमें अनुकरण नहीं; सत्य का अनुसन्धान करना है। लीक-लीक नहीं चलना है। मुझे तो अन्धविश्वासों की छाया भी पसन्द नहीं है। मैं अन्धविश्वास का भी समर्थक नहीं हूं। और उस मार्ग को अपनाने वालों को भी मैं अच्छा नहीं समझता। इसलिए धर्म एवम् सत्य की स्थापना के लिए अन्धविश्वासों को जड़ से उखाड़ फेंक देना चाहिए । प्रज्ञा के आधार पर । _अन्धविश्वासों की तुम्बी की बेलों को तो मूल से ही उखाड़ा जाता है, किन्तु धर्म के अंगूर-तरुओं की आचार व्यवहाररूपी डालियों का तो देशकालानुरूप ही काट छाँट किया जाता है। समय पर आवश्यकतानुसार अंगूरों पर कलम करना ही अंगूरों की वृद्धि का तरीका है। इसी प्रकार हमारे आचार एवं व्यवहारों में भी यथावश्यक फेर बदल करने से लाभ ही है न कि हानि । आचार व्यवहार, की जीवन्तता तो देशकाल और परिस्थिति पर ही निर्भर है। उत्तराध्ययन सूत्र चूणि में तीर्थ करों के लिए कहा गया है कि देशकालानुरुपम् धर्मकथययन्ति तीर्थ कराः। तीर्थकर भी देश और काल के अनुसार ही धर्म का उपदेश देते हैं । सामान्य दृष्टि से तो देशकाल और परिस्थिति को समझते हुए ही सारे आचार Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003961
Book TitleSamasya aur Samadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year1986
Total Pages110
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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