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ध्यान-विधि
चैतन्य-ध्यान सवेरे प्रसन्न हृदय के साथ चैतन्य-ध्यान में प्रवेश कीजिये। कई लोग साथ मिलकर ध्यान करें तो और बेहतर ।
प्रथम चरण : ॐ का सात बार उद्घोष एवं सात बार अन्तर-अनुगूंज कीजिये। प्रत्येक उद्घोष एवं अनुगूंज के बीच तीन बार सहज सांस लीजिये।
द्वितीय चरण : प्रसन्न आत्मा से सहज सांस के साथ ॐ का सहज स्मरण/जाप कीजिये।
तृतीय चरण : ॐ की सहयात्रा। पहले मंद-मंद सांस के साथ, पश्चात् गहरी सांस के साथ ॐ का गहरा स्मरण कीजिये।
चतुर्थ चरण : तेज सांस के साथ ॐ का गहरा अन्तर-मंथन कीजिये, तब तक, जब तक थक न जाएं।
पंचम चरण : अन्तश्चेतना में अनाहद की अनुभूति कीजिये और डूब जाइये अहोभाव नें, यानी स्वयं की सहजता में निमग्नता ।
सम्बोधि-ध्यान शाम को प्रसन्न हृदय के साथ सम्बोधि-ध्यान में प्रवेश कीजिये। पहले खुलकर मुस्कुराइये, ताकि मानसिक तनाव और बोझ हल्का हो जाए।
प्रथम चरण : दृष्टि को नासाग्र पर केन्द्रित कीजिये और अपने आभामंडल को पहचानिये।
द्वितीय चरण : श्वास पर ध्यान केन्द्रित कीजिये। स्वयं को सबसे अलग करते हुए तटस्थ भाव से अपनी वृत्तियों की प्रेक्षा/विपश्यना कीजिये और उनसे मुक्त हो जाइये।
तृतीय चरण : नाभि पर ध्यान केन्द्रित कीजिये। शरीर के अधोभाग में प्राणों का धीरे-धीरे संचार कीजिये और पुनः नाभि पर आइये।
चतुर्थ चरण : गहरे श्वास-प्रश्वास के द्वारा ऊर्जाकुंड/ कुंडलिनी को जगाइये और नाभि, हृदय, कंठ के क्रमिक स्पर्श का अहसास करते हुए मस्तिष्क के । ग्रभाग पर ऊर्जा का समीकरण कीजिये।
पंचम चरण : शरीर को शिथिल छोड़ते हए स्वयं में अन्तरलीन हो जाइये। आनंद एवं अहोभाव में डूब जाइये।
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