SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 61
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिणतियाँ उसके साथ चलती रहेंगी। अस्सी साल के हो जाओगे तब भी और मृत्यु के द्वार पर पहुँच जाओगे तब भी। मृत्यु के द्वार पर पहुँचकर भी तुम यही कहोगे अपनी पत्नी से कि बड़ा बेटा कहाँ है । पत्नी कहेगी- चिंता मत करो आपके सिरहाने है। बोले, 'छुटका कहाँ है?' जवाब मिला, आपके पास ही तो बैठा है ! तो तब मूछित और अचेत अवस्था में जीने वाला व्यक्ति मरणशय्या पर पड़ा हुआ भी यही कहेगा कि अगर तीनों यहाँ हैं तो दुकान को कौन चला रहा है? ये अचेत अवस्था के परिणाम हैं । यह घटना मैं इसलिए कह रहा हूँ ताकि हम सब लोग अपनी-अपनी मूर्छा और अचेत अवस्थाओं को समझें और अपने प्रति जागृति/सचेतनता ला सकें । हम, किसी को गाली न देनी पड़े यह सचेतनता तो रखते हैं लेकिन भीतर में गाली का उदय ही न हो, 'ध्यान' हमें वह सचेतनता देता है। तब, जब मनुष्य अपनी सचेतनता को खंडित कर बैठता है, उसकी हालत श्रोण जैसी होती है। कहते हैं श्रोण अगले दिन फिर आहारचर्या के लिए निकलने लगा। अपने गुरु के पास गया और जाकर कहने लगा, भन्ते, आहार के लिए जाने की अनुमति चाहता हूँ।' गुरु ने कहा, 'अनुमति है, किन्तु आज भी वहीं पर जाना है जहाँ कल गए थे।' उसने कहा, 'भगवन् ! उपवास करना मंजूर है, मगर उस महिला के घर भोजन के लिए जाना दुष्कर है। भगवान ने कहा, 'वत्स, अचेत अवस्था के साथ जब-जब जाओगे तब-तब तुम्हारी यही परिणति होगी। आज तुम पूरी सचेत-अवस्था के साथ जाओ। अपनी श्वसन-धारा और विचारधाराओं के प्रति सचेत-जागृत होकर जाओ। तुम केवल आती-जाती श्वास-धारा पर ध्यान धरते हुए जाओ। केवल श्वास-धारा का आनंद लेते जाओ। अपनी प्रत्येक श्वास का अनुभव करते रहो। उसी का आनंद लेते रहो। तुम औरों से स्वतः निरपेक्ष होते जाओगे।' श्रोण गुरु को इंकार न कर पाया। वह भारी मन से निकल पड़ा। धीमी चाल से चल रहा था। श्वसन-धारा का अनुभव करते हुए चल रहा था। ६० शांति पाने का सरल रास्ता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003959
Book TitleShanti Pane ka Saral Rasta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy