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________________ साथ फिर अपना व्यापार शुरू किया। वह फिर पाँवों पर खड़ा हो गया । आज वह व्यक्ति फिर से अधिसंपन्न है । फ़र्क़ केवल इतना ही है कि पहले वह कर्त्ता - भाव से घिरा था । अब वह अकर्त्ता भाव का मालिक है । अब वह हर हाल में सहज और आनंदित रहता है । अब वह साधक है । उससे पहले व्यक्ति व्यक्ति होता है, मगर व्यक्ति जब अपनी ज़िन्दगी में ऐसी कोई ठोकर खा चुका होता है तो उसी में से जिसका जन्म होता है उसे हम कहते हैं 'साधक'। एक तो व्यक्ति को पैदा माँ करती है, पिता पैदा करते हैं और एक पैदा व्यक्ति स्वयं अपने आप को करता है। ध्यान अपने-आप को पुनर्जन्म देने का एक चरण है। ध्यान में व्यक्ति स्वयं अपने आप को पैदा कर रहा है। अपने को, अपनी शांति को, अपने आनंद को । ध्यान में हम स्वयं को स्वयं के द्वारा जन्म दे रहे हैं। संबोधि-साधना के मार्ग पर चलकर हम स्वयं को शांतिमय, आनंदमय और समाधिमय बनाने का ही उपक्रम कर रहे हैं 1 हम अपने साँस - साँस में आनंद लें। साँसों में जीवन का ख़ज़ाना है । हर साँस प्रभु की कृपा है। हर साँस के प्रति उत्साह हो, हर साँस के प्रति उमंग हो । आती-जाती हर साँस के साथ यह एकाग्रता, एकलयता, मानसिकता, यह भावना प्रगाढ़ होती रहे- मैं स्वयं को सहज - स्वस्थ, शांतिमय और आनंदमय बना रहा हूँ। मानो हम किसी बोधि-वृक्ष के नीचे बैठकर शांति का, आनन्द का अनुष्ठान कर रहे हैं । ध्यान धर रहे हैं, यानी पल-पल स्वयं के अस्तित्व का अनुभव कर रहे हैं । स्वयं के भीतर उतरकर स्वयं का आनंद ले रहे हैं । याद रखिए बुद्ध भी कभी आप जैसे ही थे, मीरा भी कभी हम जैसी ही थी, पर जब लौ लग गई प्रभु से, जब लगन लग गई स्वयं से, तो आदमी निरा बुद्ध ही क्यों न हो, बुद्ध बन ही जाता है। मन कितना ही विक्षिप्त या पाग़ल क्यों न हो, आखिर महावीर बन ही जाता है । आज सुबह ही एक सज्जन पूछ रहे थे, 'भन्ते, क्या आपको सुख की नींद आई।' मैं मुस्कुराया । मैंने कहा, 'जिसके मन में कोई चाह नहीं, चिंता नहीं, किसी से कोई ईर्ष्या नहीं, उसकी तो रात भी सुख की ही बीतती है । ' सहजता को बनाइए समाधि का साधन ५३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003959
Book TitleShanti Pane ka Saral Rasta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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