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पिस रहे होते। आपको यह सौभाग्य दिया है, आपके जीवन में पुण्य की एक किरण प्रदान की है कि आप यहाँ हैं प्रभु के भजन में, प्रभु के ध्यान में, श्वासश्वास में प्रभु के खजाने का आनंद ले रहे हैं।
अब देखो यह बहन यहाँ बैठी है और इनका पति ऑफिस में बैठा हुआ उलटे-सुलटे कर रहा है। तो पुण्य इनके प्रबल हुए हैं और उनके पुण्य प्रबल होने में अभी वक्त लगेगा। साधुवाद दो ईश्वर को कि हे ईश्वर! तुम्हारी शुक्रगुजारी है कि तुमने मुझे शांतिमय, आनंदमय, प्रज्ञामय होने का अवसर प्रदान किया।
मैं तो अन्तर्मन में जीवन का पल-पल आनंद लेता हूँ। इसीलिए ज़िन्दगी की धन्यता की बातें करता हूँ। आनन्दित हूँ इसलिए आनन्द बाँटता हूँ। मुस्कराता हूँ इसलिए मुस्कान देता हूँ और मुस्कान लेता हूँ। अगर कोई मुझे कुछ देना चाहे तो मुस्कान दे जाए। अगर कोई मुझसे कुछ लेना चाहता है तो मुस्कान ले जाए। हर मुस्कान किसी स्वर्ण-कण की तरह बेशकीमती है, हर मुस्कान जीवन की एक किरण है।
याद रखो, ज़िन्दगी रोने के लिए नहीं है। ज़िन्दगी भगवान ने रोने और मुर्टाने के लिए थोड़े ही दी है। ज़िन्दगी जीने के लिए दी है और जीओगे तभी जब जीवन के प्रति उत्साह और ऊर्जा का भाव होगा।
इसलिए छोड़ो चिंताओं को, आपाधापियों को। सहजता से जीओ। जो है उसे स्वीकार कर लो। जिन परिस्थितियों का सामना करना उचित हो, उनका सामना कीजिए। बाकी जो भी है, उससे समझौता कर लीजिए और मस्त हो जाइए। जो होना था, हो गया। जो होना होता है, आखिर तो वही होता है। जो हुआ, जिसके लिए आज हम चिन्ता करते हैं हमने उसे घटित नहीं किया। वह अपने आप हुआ।अपने आप जो छींका टूट गया, उसके लिए कैसा टेंशन?
हाँ, यह देखो मेरे सामने घड़ी है। यदि मैं इस घड़ी को उठाकर फेकूँ और यह घड़ी टूट जाए तो उस बात को लेकर अगर मैं चिन्ता करता हूँ तब तो बात सोचने जैसी है। मैं बेवकूफ निकला कि मैंने इस घड़ी को उठाया और
शांति पाने का सरल रास्ता
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