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________________ भक्ति है ।' अब आप बताइये कि इससे बढ़िया भक्ति का आपको और कौनसा सरल तरीका मिलेगा। 'पैसा लगे न टक्का, ढूँढिया धरम पक्का' - यह तो बिल्कुल ऐसी ही बात हुई । यों समझिए कि मैंने आपको जीवन के मंथन से निकालकर यह अमृत सूत्र प्रदान किया है तो आज से, लेओगे तो क्या लेओ ? मुस्कान। और देओ तो क्या देओ - मुस्कान । मुस्कान दीजिए और मुस्कान लीजिए । वीणा के तारों को साधने के लिए इसे गुरुमंत्र की तरह अपने जीवन के साथ जोड़ लीजिए । मुस्कान देंगे, मुस्कान लेंगे। मुस्कान के अलावा अगर कोई और कुछ देना चाहे तो कह देना कि इच्छा नहीं है। भगवान बुद्ध को कभी किसी ने गालियाँ दी थीं, तो बुद्ध ने कहा था, ' भाई ! तेरे घर कोई मेहमान आए और तुम उसे खाना परोसो। वो खाना न खाए तो माल किसका किसके पास रहेगा? जिसका है उसके पास रहेगा। उसी तरह मैंने भी तुम्हारी गालियाँ स्वीकार नहीं की हैं, तो ये गालियाँ भी तुम्हारी तुम्हारे पास ही रहीं।' बड़ी प्यारी बात है । मुस्कुराने जैसी बात है । मुस्कान को कैसे बरकरार रखा जाए, यह समझने जैसी बात है। तो भाई गालियाँ स्वीकार मत करो । लेंगे तो मुस्कान, देंगे तो केवल मुस्कान | खुद मुस्कुराना अगर पुण्य है तो दूसरों को मुस्कान देना परम - पुण्य है । मुस्कान दीजिए, मुस्कान लीजिए । 1 चौबीस घण्टे मुस्कराओ। लेकिन हाँ, चौबीस घण्टे जरूर मुस्कराना, पर दो मिनट ही सही प्रभु के नाम पर दो आँसू भी जरूर ढुलकाना। चौबीस घण्टे मुस्कराते रहना, पर चौबीस घण्टों में 2 मिनट ही सही प्रभु का ध्यान धरते हुए, प्रभु से अपने तार जोड़ना और उन्हें अपने प्रार्थनाभरे दो आँसू जरूर सौंपना ताकि वे पीड़ा के आँसू, वे अश्क बदल जाएँ। वे आँसू, आँसू न हों, प्रभु के चरणों में अर्पित किए जाने वाले मोती हो जाएँ । भगवान को चढ़ाने के लिए मेरे पास धन, लक्ष्मी, पैसा तो है नहीं । मेरे पास तो प्रेम-पुष्प है, समर्पण ही अर्घ्य है, स्मरण ही प्रभु का पूजन है। जबजब भी मैंने भगवान के प्रति प्रणत होकर भगवान से पूछा कि प्रभु मैं तुम्हें क्या चीज चढाऊँ? तब भगवान ने मुझसे यही कहा, मेरे पुत्र ! चढ़ाने की चिन्ता मुस्कान दीजिए, मुस्कान लीजिए Jain Education International For Personal & Private Use Only ३९ www.jainelibrary.org
SR No.003959
Book TitleShanti Pane ka Saral Rasta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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