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जिंदगी के पन्नों पर कुछ ऐसा लिखा जाए, जो पवित्र पुस्तक-सा ही
सुबह-शाम पढ़ा जाए। जीवन के पन्नों पर कुछ ऐसा लिखो कि वे पन्ने भी किसी गीता की तरह, कुरआन की तरह पढ़े जा सकें। तुम केवल मुस्कुराओ।खुद को लाफिंग बुद्धा बना लो। इंसान कैसा हो- एक हँसता-खिलता-मुस्कुराता बुद्ध । मैं भी लाफिंग बद्धा हैं और आपको भी लाफिंग बद्धा बन जाने को उत्साहित कर रहा हूँ। आप केवल एक महीने के लिए ही सही, लाफिंग बुद्धा बन जाइए। आप इसका चमत्कार देखिएगा। जीवन के अनगिनत तनाव, खिंचाव, द्वेष, दुःख स्वतः दूर हो जाएँगे। पत्नी इज्जत दे तो भी मुस्कुराइयेगा और कोई बेइज़्ज़त कर बैठे तब भी मुस्कुराते रहिएगा।
__ जीवन को कृष्ण की तरह एक लीला ही बना लीजिए। शुरू में भले ही लगे कि आप नाटक कर रहे हैं, पर इसकी चिंता न करें। शुरू में कोई भी चीज नाटक ही लगती है, पर धीरे-धीरे वही जीवन की आदत में शुमार हो जाती है। सुबह उठते ही, ईश्वर को नमन बाद में समर्पित कीजिएगा, उससे पहले आधे मिनट तक मुस्कुरा लीजिएगा। दुकान में कदम रखो तो कदम बाद में रखिएगा, अपनी मनोदशा में एक मंद मुस्कान की बयार पहले बहा दीजिएगा। भोजन करो तो भोजन करने से पहले अपने अन्तर्मन को देखिएगा और उसे मुस्कान का अवलेह प्रदान कर दीजिएगा। बच्चों को पढ़ाने बैठो तो पहले मुस्कुराइएगा। रात को सोने के लिए जाओ, तो लेटने से पहले वही एक मंद मुस्कान । निश्चय ही, अब तक जो आप चिड़चिड़ाते रहे थे, खाना खाते वक्त, ग्राहक से बात करते वक्त, पत्नी और पड़ौसी से बतियाते वक्त; आप पाएँगे अब वो बात नहीं रही। अब जीवन में मिठास आने लग गई है, विनम्रता और सरलता भी आने लगी है। क्षमा की भी प्रवृत्ति जीवन से जुड़ चुकी है। यानी एक तीर से दस बीमारियाँ, जीवन की दस बुराइयाँ साफ। आशाराम बापू ने कभी एक सुन्दर-सी पंक्ति कही थी कि, सदा प्रसन्न रहना ईश्वर की सर्वोपरि
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शांति पाने का सरल रास्ता
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