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महत्त्व दीजिए और ध्यान धरिए । शांति को दिया गया महत्त्व ही धीरे-धीरे गहराई तक उतरता जाएगा और आप शांत होते जाएँगे। भीतर में भटकाव अधिक उठे, तो वही 10-12 गहरी साँसों का पुनः पुनः प्रयोग करते रहें।
हालांकि सबके दिमाग में तनाव है, सबके दिमाग में दरारें पड़ी हुई हैं, सबके शरीरों में विकार समाये हुए हैं। इसलिए बाहर से सभी लोग धुले हुए ही क्यों न दिखाई दें, पर भीतर से तो हर आदमी अपनी-अपनी सच्चाई से वाकिफ़ है। सात दिन तक आप अपने अन्तर्मन में शांति का चैनल शुरू कर ही दें। ध्यान धरें तो शांति का ध्यान धरें, प्रार्थना करें तो शांति की प्रार्थना करें, चिंतन करें तो शांति का चिंतन करें। अपनी आँखों में, अपनी आत्मा में, अपनी हर धड़कन में एक ही रोशनी हो, एक ही सुवास हो, एक ही प्रकाश हो, मन में एक ही लक्ष्य और एक ही धारणा हो - शांति । इस सप्ताह को शांति का सप्ताह बनाएँ। अगला सप्ताह स्वतः शांतिमय ही होगा।
हो गई है पीर पर्वत-सी, पिघलनी चाहिए। इस हिमालय से कोई
गंगा निकलनी चाहिए। क्रोध, तनाव, अवसाद बहुत हो चुके हैं। पीड़ाओं के, शिकवाशिकायतों के पहाड़ खड़े हो चुके हैं। अब तो जीवन से बहे शांति की गंगा, आनंद की गंगा, तृप्ति और मुक्ति की गंगा, निर्वाण शांतम्' की गंगा।
___ एक ही सूत्र याद रखिए : शांति चाहिए तो शांत रहिए। मन में सदा शांति का चैनल चलाइए।
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शांति पाने का सरल रास्ता
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