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सिर है। हमारा शरीर एक तरह की तीली ही है। तीली थोड़ा-सा घर्षण लगते ही सुलग उठती है और हम भी थोड़ी-सी बात चुभते ही क्रोधित हो जाते हैं? प्रश्न है हम बारूद की तीली हैं या इंसान हैं? तीली के भी माथा है और हमारे भी माथा है । पर फर्क यह है कि हमारे माथे में दिमाग़ है पर तीली के केवल माथा ही है। तीली दिमाग़ के अभाव में खुद पर नियंत्रण नहीं रख सकती । हमारे तो माथे के साथ दिमाग़ भी है । अपने दिमाग़ का इस्तेमाल कीजिए । स्वयं को तीली नहीं, गुलाब की कली बनाइये, जो हर हाल में महके, खिले, मुस्कुराए ।
तो शांति की साधना कीजिए । शांति को अपनी सहेली बनाएँ । यदि मुझसे कोई पूछना चाहे कि मेरी सहेली का नाम क्या है? तो मेरा जवाब होगाशांति। भारत में पुरुष अगर किसी सहेली का नाम बता दे तो बहुत संकोच आएगा । पुरुष - मित्र का नाम तो बताया जा सकता है पर सहेली का नाम बताना हो तो पत्नी के बिगड़ने की संभावना रहती है ।
मेरी सहेली बहुत सुन्दर है। मैं अपनी सहेली को हर वक्त अपने साथ, अपने पास ही रखता हूँ। वो भी क्या किसी को दोस्त बनाया जो दो पल काम आये और दो पल के लिए दूर हो जाए। मित्र बनाओ तो ऐसा मित्र बनाओ जो हमारे जीवन की छाया बन जाए। मेरे उस दोस्त का नाम, मेरे मित्र, मेरी सहेली का नाम 'शांति' ही है, अन्तर्मन की शांति | आप भी बना लो इसे अपनी सहेली जिसको आप हर समय अपने साथ रख सकें। इस सहेली का नाम शांति है, हर हाल में शांति ।
जीवन में वह हर कार्य स्वीकार्य हो जिसे करने से शांति मिलती है। वह हर सम्बन्ध, हर व्यक्ति, हर निमित्त त्याग दिया जाना चाहिए जिसके पास जाने से, जिसके साथ व्यवहार करने से, जिसके साथ सम्बन्ध जोड़ने से हमें अशान्ति मिलती हो ।
पापा आदरणीय हैं, पर पापा अगर हमें अशान्ति दे रहे हैं तो पापा से अपने आपको निर्लिप्त करो। पति आदरणीय है, पत्नी आदरणीय है पर अगर वे तुम्हारी शांति को बार-बार खण्डित करते चले जा रहे हैं तो तुम अपने आप
मन में चलाइए शांति का चैनल
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