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________________ लिए शांति के अलावा और कोई मार्ग नहीं हो सकता, वह व्यक्ति हर हाल में अपनी शांति को बरकरार रखेगा। मंदिर में जलने वाला दीपक चाहे जले या बुझे, समाज में चलने वाले लोग चाहे खुश हों या नाखुश पर मेरी शांति हर हाल में अखण्ड बनी हुई रहनी चाहिए। शांति मिलती है तो आपसे रिश्ता भी स्वीकार है और अगर अशांति मिलती है तो आपसे रिश्ता भी अस्वीकार है। ___भगवान एक तो वो कि जिसका निर्माण इनसान करता है, एक वो जो कि हम सब का निर्माण करता है। उस ईश्वर की आराधना बहुत हो गई जिसका निर्माण हमने किया है। अब एक बार उसकी आराधना कर के देखो जिसने हम सब लोगों का निर्माण किया है। उसकी डगर पर आओ, वो डगर कहीं और नहीं है। वो डगर आपके शांति के रास्ते से निकलती है। वो डगर आपके अपने भीतर ही है। शांति कहीं और नहीं मिला करती, शांति जब भी मिलेगी तो आपके अपने फैसले से, आपके अपने अन्दर ही मिलेगी और यही कारण है कि जब हम ध्यानयोग से गुजर रहे हैं, तो अभी एकमात्र सबसे पहला प्रयोग यही चलता चला जा रहा है कि व्यक्ति सबसे पहले अपने तन-मन की उत्तेजनाओं का शमन करे, उन्हें शांतिमय बनाए। जैसे ही व्यक्ति अपने भीतर शांति का अनुभव और शांति का रसास्वाद करता है वैसे ही व्यक्ति की, अपने अंतर्मन से एकाकार की स्थिति बन जाती है। और स्वयं से एकाकार होते ही, जिसे व्यक्ति बाहर ढूंढ़ रहा होता है उसका आनन्द अपने आप में आने लग जाता है। ऐसा हुआ कि जब ईश्वर ने इस दुनिया का निर्माण किया था, तब कोई भी ईश्वर को याद करता तो उसे हाजिर होना पड़ता था। बेटा याद करे और पिता हाजिर न हो यह कैसे संभव हो सकता है। मीरा याद करे, मीरा के घुघरू बजे और गिरधर की बंशी न [जे यह कैसे संभव है। चन्दनबाला के आँसू बहे और महावीर न आएँ यह कैसे मुमकिन है। द्रोपदी अगर पुकारे अपने चीर को बढ़ाने के लिए और चीर न बढ़े यह कैसे मुमकिन है। और तब, जब ईश्वर को सब लोग अपने-अपने मतलब से याद करते चले जा रहे थे, ईश्वर परेशान हो गए। आदमी को अगर ठोकर भी लग जाती तो ईश्वर को याद १४ शांति पाने का सरल रास्ता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003959
Book TitleShanti Pane ka Saral Rasta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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