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मनुष्य का जन्म अनिश्चितता की गोद में होता है । जीवन विकास नहीं अपितु क्षणभंगुर होती ज्योति का इतिहास है। परिवर्तन के हर क्षण में ध्रुवता कायम रहती है जो भविष्य की कोख से पैदा होने वाले क्षण पर जीवन या मृत्यु की मुहर लगाती है ।
जिनकी दृष्टि ध्रुव एवं शाश्वत-तत्त्व पर टिकी रहती है, वे अनित्यता एवं मृत्यु के बीच भी नित्य एवं अमरता का अनुभव करते हैं ।
जीवन में प्रगति हमारी जीवंतता है, किन्तु जो लोग कोल्हू के बैल की तरह वर्तलाकार गति करते हैं, वे कहीं भी नहीं पहुँच सकते ।
___ व्यक्ति को संघर्ष से घबराना नहीं चाहिये । अपने संकल्प के लिए संघर्ष करना हमारा आत्मबल का अभिनन्दन है। ईमानदारी से संकल्प के लिए संघर्ष किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है ।
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