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बिगड़ जाता है। बात सत्य भी है। हम जानते हैं कि अच्छे बगीचे में उनका माली दिन-रात परिश्रम करता है । नए-नए पौधे लगाता है । घास-फूस, कूड़े-कचरे को साफ करता है। साथ ही साथ अपरिहार्यतानुसार पौधों की कांट-छांट भी कैंची के द्वारा करता है। इतना श्रम करने पर ही वाटिका फलती-फूलती है। लोगों में आकर्षण एवं मनोरंजन का केन्द्र बनती है अतः माँ और माली दोनो एक ही तराजू के दो पलड़े हैं। ___ यही कारण है जितने भी और जिस युग में धर्म-गुरु, उपदेशक, सन्त, महात्मा, सुधारक इत्यादि हुए, सब इसी की ही देन है । इसकी ही कुक्षि से पायथागोरस प्लेटो, साकेटीस, सुकरात जैसे दार्शनिक और तत्ववेत्ता ने जन्म पाया था। इसी को अगम्य कृपा से सीस्टम टेरिट्युलियन, क्लीमेंस, फ्रांसीसियों, आँसीसी, गेसेडी, जोहनहावर्ड स्वेडन वोर्ग, जोहन वेस्ली, मिल्टन, न्यूटन, फ्रेंकलीन, पेलो, न्यूमन, विलियम ब्रुथ और ब्रम फूल जैसे सुज्ञ महान पुरुष हुए और इसके ही सम्यक् संस्कारों के फलस्वरूप महावीर, बुद्ध, जरथुस्त, डेनियल और ईसा मसीह जैसे विश्वोद्धारक महापुरुष बनें। ___ सुलोचना, कौशल्या, राजुल, सीता, मंदोदरी, अंजना, सत्यभामा चंदनबाला, अनंतमती, मीरा, लक्ष्मीबाई, सरोजनी नायडू, महादेवी वर्मा, इन्दिरा गाँधी, एलिजाबेथ, मेडम क्यूरी, मदर टेरेसा आदि विश्व प्रसिद्ध नारियाँ भी इसी माँ की अनुपम देन हैं।
उपर्युक्त का जीवन चरित्र जानना हमारे लिए अत्यन्त आवश्यक है पर...."स्थानाभाव । "जीवन चरित्र ही केवल सच्चा इतिहास है। (कारलाइल) वास्तव में प्राचीन महापुरुषों के जीवन से अपरिचित रहना जीवन भर निरन्तर बाल्यावस्था में ही रहना है।
यूनानी दार्शनिक व जीवनी लेखक प्ल्यूटार्क के शब्दों में"To be ignorant of the lives of the most celebrated men
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