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आइए, हम अपनी वाणी को बेहतर बनाएँ, मधुर बनाएँ, प्रभावशाली बनाएँ।आखिर, लोहे का तीर जो काम नहीं कर सकता वचन का तीर वह काम कर जाया करता है। संतों के अमृत वचन से तो निर्दय और हत्यारे लोग भी दया के सागर बन जाया करते हैं। हर समय झूठ बोलने वाले लोग भी संत जनों के वचनों से प्रेरित होकर सत्यवादी हरिश्चन्द्र बन जाते हैं। कल तक जो लोग चोरी-डकैती करते थे, ऋषियों के वचनों से प्रभावित होकर वाल्मिकी ऋषि बन जाते हैं और लोभी, लालची तथा कंजूस कहलाने वाले लोग कभी-कभी निर्मल वाणी से ऐसे बदल जाते हैं कि वे दुनिया के लिए दूसरे भामाशाह बन जाते हैं। मधुर वचनों में तो वह ताक़त है कि लोहे की मोटी-मोटी जंजीरों से वश में न होने वाला हाथी महावत की मीठी पुचकार सुनकर उसकी अधीनता स्वीकार कर लेता है। आप भी अपनी वाणी को ठीक कीजिए और अपना करिश्माई प्रभाव देखिए।
इसके लिए मैं आपको केवल 7 हिन्ट्स दूंगा। आप उन पर गौर करें और दुनिया के सिरमौर बन जाएँ। ___ पहला अनुरोध : कटु और टोंट भरी वाणी न बोलें: अर्थात ऐसी वाणी बोलने से बचना चाहिए, जो दूसरों के दिलों को आघात पहुंचाएँ । दुनिया में आखिर कोई भी तलवार इतनी बेदर्दी से नहीं काटती जितनी कि इंसान की कटु वाणी लोगों के दिलों को काटा करती है। शरीर में गड़ी हुई बंदूक की गोली या चुभा हुआ कंटीला तीर कोशिश करके फिर भी निकाला जा सकता है, पर कड़वी ज़बान का काँटा अगर किसी के दिल को चुभ गया तो आदमी जब तक जीता है वह तब तक चुभता ही रहता है । न तो शत्रु किसी को इतना संतप्त करता है और न ही शस्त्र, न ही अग्नि किसी को इतना जलाती है और न ही विष, पर कड़वी भाषा शत्रु और शस्त्र से ज्यादा संतप्त करती है, अग्नि और विष से ज़्यादा जलाती है। ज़बान कड़वी हो तो सब दुश्मन हो जाते हैं, वहीं अगर ज़बान मीठी, मधुर हो तो सब वश में हो जाते हैं।
___ कड़वी जबान बोलने की बजाय न बोलना ज़्यादा अच्छा है। जो इंसान अपने मुंह में लगाम लगा लेता है और जीभ को वश में रखता है, उसे कभी
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