________________
मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़ता। मछली अगर अपना मुंह बंद रखना सीख जाए तो वह कभी भी मुसीबत में नहीं फँस सकती । भले ही कोई महाभारत का कारण जुए को बताता हो या चीर-हरण को, पर सच्चाई यह है कि द्रौपदी का यह एक वचन ही महाभारत का मूल बीज बनता है कि अंधे का बेटा भी आखिर अंधा ही होता है । अगर आपमें आत्मा है तो आप महाभारत की इस घटना से कुछ सबक लीजिए और अपने जीवन में संकल्प कीजिए कि मैं कभी भी कड़वी भाषा नहीं बोलूँगा, दिल को ठेस पहुँचाने वाले शब्द नहीं बोलूँगा, किसी का उपहास नहीं करूंगा, किसी के साथ गाली-गलौच करना पाप समझंगा ।
तन का हलका होना अच्छी बात है और मन का हल्का होना सुखकारी है, पर वाणी और व्यवहार का हल्का होना कभी भी अच्छी बात नहीं है। इसे आप यों समझिए ।
एक महिला ने अपने पति से पूछा, 'मेरी रसोई कैसी बनती है ?' पति ने कहा, 'रसोइया होता तो अभी तेरी छुट्टी कर देता ।' पति का इतना बोलना था कि पत्नी रुष्ट होकर पीहर चली गई ।
कृपया कड़वा मत बोलिए। एक पति ने अपनी पत्नी से कहा, 'क्या जायकेदार सब्जी
बनाई है ! दो रोटी और आने दो।' पत्नी ने झट से कहा, 'आठ तो खा चुके और कितनी खायेंगे ?
कृपया इस तरह की थर्ड ग्रेड की भाषा बोलने की बजाए थोड़ा सा प्यार से कह दीजिए ना, 'दो क्यों, चार और लीजिए न् ।' अब रोटी तो आपको और बनानी ही पड़ेगी। थोड़ा सा प्यार से जवाब दे दो तो खाने का जायका दुगुना हो जाएगा, नहीं तो जो खिलाया है वह भी गुड़ - गोबर हो जाएगा ।
दूसरा अनुरोध : न तो उपालम्भ दीजिए और न ही किसी की आलोचना कीजिए । कहने में तो हर कोई कह देगा कि आप मेरी कमी बता दीजिए, पर जितना सच यह है उतना ही सच यह भी है कि दुनिया में कोई भी इंसान अपनी कमी सुनना पसंद नहीं करता । पसंद हमेशा तारीफ़ की जाती है ।
Jain Education International
74
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org