________________
ढंग से बोलें। बोलना आदमी की पहली विशेषता है, किंतु सत्य बोलना दूसरी विशेषता है । सत्य को भी यदि मिठास से बोला जाए तो यह तीसरी विशेषता है, पर उसे भी यदि धर्मसम्मत तरीके से बोला जाए तो यह आदमी की चौथी विशेषता कहलाएगी।
बोली बोल अमोल है जो कोई जाणे अमोल बोल ।
पहले अंदर सोचके, पीछे बाहर खोल ॥
पहले सोचिए, फिर बोलिए पहले तोलो, फिर बोलो। बिना विचारे मत बोलो। ढंग से बोलोगे तो वापस सामने वाला भी उतने ही सलीके ढंग से पेश आएगा। बेढंग से बोलोगे तो बेढ़ब ही लौटकर आएगा ।
एक दफा अभिषेक ने अपनी भाभी से कहा, 'काणी भाभी, पाणी पिला ।' यह सुनकर भाभी को बुरा लगा और भाभी ने वापस पलटकर कहा, 'कुत्ते को पिला दूंगी पर तुझे नहीं पिलाऊंगी।'
पांच मिनट बाद छोटा देवर नवरतन आया। उसने कहा, 'प्यारी भाभी, जरा पानी पिलाना।' भाभी ने हंसकर कहा, 'पानी नहीं, बादाम का शरबत पिलाऊंगी । '
क्या आप समझ गए कि आपकी भाषा औरों को आपके प्रति कैसा सलूक करने को प्रेरित करती है ? अपन लोग जनरल वे में कहा करते हैं, 'हे बाई बाडी, छाछ दीजे जाडी' तो वापस जवाब मिला 'जैसी थारी वाणी, वैसो छाछ में पाणी' यानि अच्छा बोलो अच्छा पाओ ।
अच्छा बोलना बीज बोने की तरह है । पाओगे आखिर वैसा ही जैसा बीज बोओगे। किसी से बोलना तो मिट्टी में से सोने को निकालने की तरह है । बोलना अपने आप में बहुत बड़ी कला है। इसमें आपकी सफलता का राज़ भी छिपा है और कैरियर का आधार भी । बोली से ही आदमी के कुल की पहचान होती है और बोली से ही व्यक्तित्व उजागर होता है। अच्छी और मधुर वाणी बोलना सुखी, सफल और मधुर जीवन का पहला और आखिरी मंत्र है ।
Jain Education International
72
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org