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सोचते हैं न जाने स्वीच कैसे खराब हो गया पर जब ध्यान देते हैं तो पाते हैं कि किसी उदंडी लड़के ने आपके हॉर्न के स्वीच में लकड़ी का एक तिनका फंसा दिया है। उस लड़के का तो कुछ न बिगड़ा पर आपका स्वीच जरूर खराब हो गया। तभी आपके मुंह से निकल पड़ा-खाली दिमाग़ शैतान का घर।
एक दफ़ा मैं किसी रास्ते पर खड़ा था, मैंने देखा कि एक महिला अपनी खरीददारी करके सामने की दुकान से निकलकर आई। उसने स्कूटर की डिक्की में अपना सामान रखा, स्कूटर पर बैठी और किक मारा। किक मारते ही स्कूटर जोर से उछल पड़ा और महिला गिर पड़ी। पांव में फेक्चर हो गया। क्या आप जानते हैं कि इसका कारण क्या है ? महिला के दुकान में चले जाने के बाद कोई सिरफिरा लड़का उधर से गुजरा होगा, चलते-चलते उसने खड़े स्कूटर का गियर बदल दिया होगा। लड़के ने तो ऐसे ही मटरगश्ती में गियर बदल दिया होगा पर उसकी मटरगश्ती वह लड़का नहीं जानता होगा कि उस महिला के लिए कितनी महँगी पड़ी। हालांकि मैंने उस महिला को हॉस्पिटल पहुँचवाया पर मुझे उस वक्त भी यही याद आया-- खाली दिमाग़ शैतान का घर।
जिस बात की ओर मैं आप लोगों का ध्यान केन्द्रित करना चाहूँगा वह बात तो मैंने देश के हर कोने में पाई है। पदयात्रा करते हुए हमें हर किलोमीटर पर मील का पत्थर देखने को मिलता है। आधे से अधिक मील के पत्थरों पर लिखे हुए किलोमीटर के अंक बच्चों के द्वारा या तो घिसे हुए या उनके बदरूप किए हुए रूप देखने को मिलते हैं। उन अंकों को देखकर मुसाफिरों को कई दफ़ा कन्फ्यूजन भी हो जाता है पर इन बच्चों को कौन समझाए। यह सब काम वही बच्चे करते हैं जो पढ़ाई-लिखाई में अपना मन नहीं लगा पाते।
आपने अपने स्कूटर की सीट कवर पर तो कई दफ़ा ब्लेड चली हुई देखी होगी। आपको कई दफ़ा इस चीज पर गुस्सा भी आया है। आप दूसरों के बच्चों
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