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ऊर्जावान होता है। स्वयं की मानसिक शक्ति प्रखर और एकाग्र होती है। हम
आंतरिक सत्य, सौन्दर्य और आनंद के अधिक करीब होते हैं। ध्यान और कुछ नहीं है केवल धैर्यपूर्वक स्वयं में स्थिर होकर स्वयं का अवलोकन है । ध्यान के गर्भ से ही मुक्ति की अवस्था का सर्जन होता है और इसीलिए वह परम पवित्र और परम श्रद्धास्पद है।
स्वस्थ, सफल और तनावमुक्त जीवन जीने के लिए सातवाँ क़दम है : अपने निराशावादी विचारों का त्याग कीजिए और मन में आशा, उत्साह और उमंग का संचार कीजिए। निराशा अंधकार है और आशा प्रकाश है। निराशा नरक है और आशा स्वर्ग है। आशा और उत्साह ही जीवन का धर्म है, वहीं निराशा और हताशा ही जीवन का विधर्म है । सफलता का पहला और सीधासरल मंत्र है : हर वक़्त अपने आप को उत्साह और ऊर्जा से भरे हुए रखिए। निराश और हताश लोग रोम के बादशाह नीरो की तरह हुआ करते हैं, जो उदासीनता के जुनून में किसी पहाड़ी की चोटी पर बैठकर अपने खूबसूरत रोम को धूं-धूं कर जलते हुए देखते रहते हैं । ऊर्जा से भरे हुए लोग उस विवेकानंद की तरह होते हैं, जो साधारण वस्त्रों में रहकर भी असाधारण व्यक्तित्व की मुहर पूरे विश्व की मानवजाति पर लगा देते हैं।
मन में हिम्मत रखिये और दिल में प्रभु के प्रति विश्वास। भाग्य के चार दरवाज़े बन्द हो गए तो क्या हुआ? दीवार तोड़ कर अपने लिए रास्ता बनाइये। रात के अंधेरे में चाँद और तारे सहयोग करें तो अच्छी बात है, नहीं तो आप खुद ही अपने चिराग़ बन जाइये। आखिर हर प्रभात का जन्म रात के अंधेरे से ही होता है।
याद रखिए जब भी आप किसी से नाराज़ होते हैं अथवा नकारात्मक या निराशावादी सोच से घिर
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