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वाले अवसाद के शिकार हो जाते हैं । हमारे सोते ही मांसपेशियाँ ढीली और शांत हो जाती है । शरीर का तापमान और ब्लडप्रेशर भी संतुलित हो जाता है । शरीर की यह क्रिया ही बैटरी को रिचार्ज करने जैसी है । निश्चय ही आप वैसे हैं जैसी आपकी नींद है। रात और दिन दोनों एक-दूसरे के सहारे हैं। अच्छा दिन अच्छी रात का कारण है और अच्छी रात अच्छे दिन का आधार है । हमें छ:सात घंटे अच्छी प्यारी नींद लेनी चाहिए। जैसे ही आप बिस्तर पर जाएँ स्वयं को हर समस्या से मुक्त कर लें। नींद एक छोटी मौत है। जैसे मौत में हम सब चीजों से बेखबर हो जाते हैं ऐसे ही अच्छी प्यारी नींद लेने के लिए हम स्वयं को प्रकृति को समर्पित कर दें । निश्चय ही आपकी नींद जितनी लम्बी और मस्त होगी, आपकी प्रभात उतनी ही स्वस्थ, शुभ और स्फूर्त होगी। पर सावधान, यदि आप कुंभकर्णी नींद सोते हैं तो अलार्म घड़ी लगाकर सोइये, सूर्योदय से पहले जगिये, सुबह घूमने जाइये, दिन में मत सोइये, सदा मुस्कान और ताज़गी से भरे रहिये, आप धीरे-धीरे कुंभकर्णी निद्रा से मुक्ति पा लेंगे ।
छठा चरण है : 'एक घड़ी, आधी घड़ी, आधी में पुनि आध' ही सही, तनाव से दूर रहने के लिए थोड़ी देर ध्यान अवश्य कीजिए। ज़रूरी नहीं है कि आप सुबह ही ध्यान करें वरन् जब भी आप को समय मिले आप पन्द्रह से बीस मिनट के लिए ध्यान करने बैठ जाएँ । शरीर और दिमाग़ को पूरी तरह सहज और ढीला छोड़ दें। आलस्य और प्रमाद का त्याग करके केवल अपने दिमाग़ को, अपने अन्तर्मन को शांत करने की कोशिश करें। धैर्यपूर्वक अपने अन्तर्मन से मुलाकात करते रहें और यह बोध रखें कि मैं अपने दिमाग़ और अन्तर्मन को शांतिमय और आनंदमय बना रहा हूँ। शुरू में शांत होने की कोशिश थोड़ी कठिन लगेगी, पर धीरेधीरे हफ्ते-दस दिन में ही हम पाएँगे कि हमारे अन्तर्मन तक हमारी पहुँच होने लग गयी है, उसकी चंचलता कम हुई है। वह अपेक्षाकृत शांतिमय होने लगा है। ध्यान से जहाँ स्ट्रेस हार्मोन्स के निर्माण पर अंकुश लगता है वहीं दिमाग़ और हृदय अधिक स्वस्थ होता है । शरीर स्फूर्त और
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