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जाते हैं। तो आप अपना खुद का ही नुकसान कर रहे होते हैं ।
तनाव से दूर रहने का आठवाँ क़दम है : घर-दफ्तर में अकेले पड़े रहने की बजाय थोड़ा-सा मेल-मिलाप बढ़ाएँ । अकेले पड़े रहने से उदासीनता बढ़ती है वहीं अपनों से मिलना प्रसन्न रहने का सबसे अच्छा तरीका है । हो सकता है अब तक आप औरों से ही नहीं अपने घर वालों से भी कटे-कटे रहे हैं । आपका मुर्दानी चेहरा देखकर स्वयं आपके बच्चे ही आपसे दूर भागते आए हैं। आप प्रेम और आशावादी विचारों को अपनाइये । ये आपके लिए किसी संजीवनी का काम करेंगे। दूसरों को सदा प्रेम, सम्मान और इज़्ज़त देना किसी स्वर्ण पदक पाने से भी ज़्यादा कठिन हुआ करता है ।
आप सार्वजनिक कार्यक्रमों में अवश्य शरीक हों । पिकनिक या पार्टी में शरीक होने का मौका न चूकें। अच्छे संतों के सत्संग में सम्मिलित होकर उनके प्रभावी प्रवचनों का भी लाभ उठाएँ, इससे आपकी मानसिकता उज्ज्वल होगी और आपकी सामाजिकता का विस्तार होगा ।
आखिरी बात, तनाव से दूर रहने का नौवाँ
चरण : अपने हर कार्य को शांति और धैर्यपूर्वक संपादित कीजिए। उठाए गये काम को कभी अधूरा मत छोड़िए । स्वयं के जीवन का प्रबंधन करना एम.बी.ए. पास करने से भी अधिक महत्त्वपूर्ण है । अधीरता घाटे का सौदा है, वहीं धैर्य सफलता की ओर ले जाने वाली सीढ़ी है। धैर्य और मक्कमता ने ही इंसान को महावीर और बुद्ध बनाया है, कृष्ण और कबीर बनाया है, गाँधी और गोरबाच्योव बनाया है और इसी ने ही किसी को धोनी और अंबानी बनाया है । आप भी अपने भीतर अपने उत्साह और उमंग को जाग्रत कीजिए। सफलता का नया लक्ष्य बनाइये । जीवन को श्रेष्ठ और आध्यात्मिक ऊँचाइयाँ प्रदान कीजिए ।
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