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का टेन्शन, कार खरीद ली तो लोन चुकाने का टेन्शन, बड़े हैं तो बच्चों की शादी का टेन्शन, बूढ़े हैं तो खुद को खुद का ही टेन्शन। ज़रा आप अपने
आप को टटोलिये कि आपको किस चीज का टेन्शन या तनाव है। किसी को बड़ी घटना भी प्रभावित नहीं करती वहीं किसी को छोटी-सी घटना या वज़ह भी चिंतित, क्रोधित या तनावग्रस्त कर देती है।
तनाव आदमी के जीवन का घुन है। जैसे घुन गेहूँ को खोखला कर देती है वैसे ही तनाव हमारी मानसिक शांति को नेस्तनाबूद कर देता है। चिंता, तनाव और अवसाद से घिरे हुए व्यक्ति की मनःस्थिति का नाम ही नरक है। जब भला हर आदमी अपने जीवन में स्वर्ग की सैर करना चाहता है, फिर वह तनाव-अवसाद के नारकीय धएँ से घिरा हआ क्यों रहे? यदि आप अपने जीवन में यह संकल्प कर लें कि जीवन में जो कुछ होगा उसे प्रकृति की व्यवस्था का एक हिस्सा भर मानूँगा, मैं अपने जीवन को सहज भाव में जीते हुए हर हाल में मस्त रहूँगा। आप निश्चय ही तनाव और अवसाद से सौ क़दम दूर रहने में सदा सफल रहेंगे।
दुनिया में ऐसा कौन व्यक्ति है जिसने कि अपने जीवन में उतार-चढ़ाव न देखे हों। राम को वनवास झेलना पड़ा था, तो महावीर को अपमान । बुद्ध को लांछनों का सामना करना पड़ा, तो जीसस को सलीब का। सच्चाई तो यह है कि जीवन में खट्टा-मीठा दोनों तरह का अनुभव हुए बिना जीवन के सही स्वाद का पता ही नहीं चल पाता। यह तय मानकर चलिए कि अमिताभ को भी विफलताएँ भोगनी पड़ती हैं और अंबानी को भी घरेलु समस्याओं का सामना करना पड़ता है। चाहे आप टाटा हों या बाटा आपके जीवन की बगिया में हरहमेश तो हरियाली नहीं रह सकती। जीवन को समझिए, जीवन और प्रकृति की व्यवस्थाओं को समझिए। सहजता के धरातल पर क़दम रखते हुए अपने आप को हर हाल में प्रसन्न और सकारात्मक रखिए।
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