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जीने की कला - 3
तनाव से रहिए नौ क़दम दूर
ख़ुशहाली की बात तनाव को दें मात
दुनिया में शायद ही ऐसा कोई इंसान हो, जिसने अपने जीवन में तनाव और मानसिक पीड़ा का कड़वा स्वाद न चखा हो । सच्चाई तो यह है कि हर किसी इंसान को हर रोज़ ही दो-चार ऐसे अवसरों और निमित्तों का सामना करने को मिल ही जाता है जो कि उसके लिए तनाव, पीड़ा अथवा आक्रोश का कारण बने । चाहे आप विद्यार्थी हों या व्यापारी, शिक्षक हों या राजनीतिज्ञ, अधिकारी हों या कर्मचारी, घरेलु महिला हों या कामकाजी तनाव से कोई बचा हुआ नहीं है। किसी को किसी का टेन्शन, मम्मी को पापा का टेन्शन और पापा को मम्मी का टेन्शन। यदि आप विद्यार्थी हैं तो आपको पढ़ाई और परीक्षा का टेन्शन, यदि आप युवक हैं तो कैरियर और नौकरी का टेन्शन, यदि आप नौकरी पेशेवर हैं तो सड़क पर चलती हुई कार को देखकर उसे पाने की तृष्णा
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