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________________ महावीर ने अपने साढ़े बारह वर्ष के साधना काल में केवल एक शब्द का प्रयोग किया था। वह शब्द था एक सर्प को दिया गया उपदेश कि - हे जीव, तू शांत रह । कब तक गुस्सा कर करके अपना पतन करता रहेगा। याद कर, तू क्या था? साँप सोचने लगता है, अपना पूर्व जन्म देखने लगता है - साँप और कोई नहीं पिछले जन्म का एक संत होता है। जो अपने शिष्य द्वारा यह कहे जाने पर कि गुरुजी आपके पांव से एक मेंढक मर गया, आप प्राचश्चित कर लीजिए, गुरुजी को गुस्सा आ गया। उन्हें शिष्य की बात स्वयं का अपमान महसूस हुई और डंडा उठाकर शिष्य को मारने दौडे। शिष्य तो बच गया पर अंधेरे में खंभे से टकराकर स्वयं मर गए और सर्प-योनि में उत्पन्न हुए। ___ जब एक संत मरकर सांप बन सकता है, तब सोचिये हमारे क्या हाल होंगे। हम जो जरा सी बात पर गुस्सा कर बैठते हैं, गांठें बाँध लेते हैं, हमारा क्या होगा? आप जो कहते हैं कि - अहिंसा परमोधर्म - तो क्रोध करके किसी के दिल को ठेस पहुँचाना हिंसा है। वाणी की विनम्रता, वाणी की मधुरता अहिंसा की पहली सिखावन है। __क्रोध-मुक्ति के लिए आप एक काम कीजिए। हमारी किसी गलती के कारण किसी दूसरे को गुस्सा आ जाए तो तत्काल 'सॉरी' कहिए। अपने जीवन में दो शब्दों का अधिकतम प्रयोग कीजिए - अगर कोई हमारे काम आ जाए तो 'बैंक यू' कहिए और थोड़ी-सी भी गलती हो जाए तो 'सॉरी' कह दीजिए। ये दो शब्द 'सॉरी' और 'थै क्यू' बड़े चमत्कारिक शब्द हैं। सॉरी कहते ही जहाँ उलटा पड़ा मामला भी सीधा हो सकता है, वहीं बैंक्यू' कहने से सामने वाले ने हमारे लिए जो कुछ किया है, उसे उसका पुरस्कार मिल जाता है। इन दोनों शब्दों को आप अपने जेहन में डाल लीजिए। अपनी जबान के जेब में भर लीजिए और जब जी चाहे, इनका पूरे दिल से इस्तेमाल कीजिए। ऐसा करके आप सफलता, शांति और आनंद की तरफ चार कदम आगे बढ़ा चुके हैं। ध्यान रहे - एक बार गलती करना मानवीय है और दूसरी बार उसी गलती को दोहराना बेवकूफी है। इसके बाद भी अगर 40 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003956
Book TitleKaise Banaye Aapna Career
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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