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पूछा - 'तू क्यों गंगा में डूबकी लगा रहा है, मुझे तो तूने छू लिया था, इसलिए मैं तो डुबकी लगा रहा हूँ। चांडाल जाति के व्यक्ति ने कहा - । 'महाराज मुझे भी एक चांडाल ने छु लिया है, इसलिए डुबकी लगा रहा हूँ।' ब्राह्मण ने कहा, तुझे किसने छू लिया, मुझे आपने छू लिया - वह बोला। क्या, मुझे तूने चांडाल कहा, ब्राह्मण क्रोध से तमतमाया।व्यक्ति ने कहा 'महाराज, मैं तो जन्म का चांडाल हूँ पर आप तो स्वभाव से हैं। अरे, मैंने तो आपको केवल शरीर से छुआ, पर आपके चांडाल स्वभाव ने ही मुझे छूकर अपवित्र कर डाला।
याद रखें, जन्म से कोई ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य या शूद्र नहीं होता। अगर व्यक्ति का स्वभाव गलत है तो ब्राह्मण कुल में पैदा होकर भी वह शूद्र है और अगर कोई शूद्र कुल में पैदा हुआ है लेकिन सबको प्रेम, आदर और सम्मान देता है तो वह गुणों से ब्राह्मण है। जन्म से जाति का संबंध नहीं है न वह हिन्दू है, न जैन है । अपने कर्मों से ही वह हिन्दू, जैन या मुसलमान होता है। ____ जैन वह नहीं, जो जैन कुल में पैदा हो गया है, जैन वह है जो स्वयं को जीत लेता है। आप किसी भी कल में क्यों न पैदा हुए हों, लेकिन यदि आप अहिंसाव्रती हैं, चोरी और शोषण से बचे हुए हैं, व्यसनमुक्त और शीलव्रत धारी हैं तो निश्चित रूप से आप जैन हैं। व्यक्ति की प्रकृति अच्छी होनी चाहिए। किसी के लिए त्यागी, वैरागी, संन्यासी बनना सरल हो सकता है, लेकिन क्रोध पर काबू रखना संतों के लिए भी मुश्किल होता है। तीस दिन का उपवास करके स्वयं को मासक्षमण का तपस्वी कहना आसान होता है, लेकिन अपने मन में सदा शांति और समरसता रखना यह मासक्षमण का तप करने से भी अधिक कठिन हैं।
एक पुरानी घटना है - एक व्यक्ति का तीस दिन का उपवास और तीसवें दिन वे महाशय हमारे पास तीसवें दिन का व्रत लेने आए। तभी किसी ने हमें बताया कि ये सज्जन दो भाई हैं और दोनों के आपस में कोर्ट में केस चल रहे हैं। आप कुछ ऐसा करें कि इस मौके पर दोनों भाई एक हो जाएँ। बात सहज और
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