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आपको जीवन में किसी प्रकार की हानि उठानी पड़ी है तब किसी-न-किसी रूप में क्रोध की जिम्मेदारी भी रही है। परिवार के विघटन में जितनी भूमिका धन, .. जायदाद या ज़मीन की होती है, उससे अधिक क्रोध की होती है। क्रोध में कही गई बातें टूटन का कारण बनती हैं । क्रोध हमारे व्यक्तिगत हानि का कारण है। क्रोध ही। व्यापारी और ग्राहक के मध्य दूरियाँ पैदा करता है, समाज में दरार डालता है, जातियाँ आपस में लड़ जाती हैं, दो देशों के मध्य दुश्मनी का कारण बन जाता है।
ओसामा बिन लादेन ने जो कृत्य किया, अमेरिका में वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर ध्वस्त करवाया, वापस अमेरिका ने जो युद्ध किए, वह सब एक-दूसरे के गुस्से का ही तो परिणाम है। अगर तब अमेरिका थोड़ी शांति और धैर्य से काम लेता, लादेन की तरह उग्र न हुआ होता तो अफ़गानिस्तान और ईराक तबाह होने से बच जाते । शांति-प्रक्रिया के तहत, दुनिया को वह मंजर देखने को न मिलता, जो क्रुद्ध अमेरिका ने अफ़गानिस्तान और ईराक में मचाया। बड़े-से-बड़े दावानल को भी समय रहते शांत कर दिया जाए तो विनाश होने से बच जाता है ; अन्यथा कई समुद्रों का पानी पीकर भी दावानल को शांत नहीं किया जा सकता। समय रहते संभल जाएँ तो एक प्याले पानी से बड़े-से-बड़े दावानल को बुझाया जा सकता है। रावण, कंश, दुर्योधन, गौशालक, तैमूर लंग, चंगेज खाँ - ये सब क्रोध के ही अवतार हैं। राम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध, गाँधी, नोवेल ये सब शांति के अवतार है। आखिर दुनिया में वही पूजे जाते हैं जो शांतिमय होते हैं। दुत्कारा उन्हें जाता है जो खुद भी अशांत होते हैं और दूसरों को भी अशांत-उद्विग्न करते हैं। ___ क्रोध तो साफ़ तौर पर पागलपन है। अगर उसे समय रहते वश में कर लिया जाए तो ठीक है वरना हम क्रोध के वश में हो जाते हैं। क्रोध हमारा आका, हम क्रोध के गलाम। क्रोध तो अपने आप में भयंकर कैंसर है। क्रोध करना अपने पाँव पर कुल्हाड़ी चलाने जैसा है, क्रोध करना उस डाल को काटना है जिस पर व्यक्ति ख़ुद बैठा है। अग्नि तो उसे जलाती है जो उसके पास जाता है, पर क्रोध तो पूरे कुटुम्ब को, हर संबंध को जला डालता है।
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