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जीने की कला -2
गुस्सा छोड़िए इमेज़ बनाइए
क्रोध का करें निरोध
मुस्कान की जलाएँ ज्योत
क्रोध हमारे स्वास्थ्य, शांति और कैरियर का शत्रु है। क्रोध प्रीति का नाश करता है, सेहत का शत्रु है और कैरियर को निगल जाने वाला राक्षस है। यह समुद्र की तरह बहरा होता है और आग की तरह उतावला। क्रोध हँसी की हत्या करता है और ख़ुशी को ख़त्म । सही समझ विकसित नहीं होने के कारण क्रोध की चिंगारियाँ जीवन पर्यन्त उठती रहती हैं। शायद ही कोई इन्सान होगा जिसने कभी स्वयं गुस्सा न किया हो या दूसरे के गुस्से का सामना न किया हो। जो चिंता और ईर्ष्या नहीं करता है उसे भी गुस्सा आ सकता है। पिता को भी क्रोध आता है और पुत्र को भी, सास भी कभी क्रुद्ध हो जाती है और बहू भी। विद्यार्थी, व्यापारी, अधिकारी, कर्मचारी - हर वर्ग के, हर तबके के व्यक्ति को क्रोध तो आता ही रहता है।
अपने जीवन का मूल्यांकन करने पर आपको अहसास होगा कि जब भी
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