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________________ अपनी कार्य-शैली को, अपने उत्पादन को, अपनी व्यवस्था को बेहतर बनाते रहिए। ___एक दफ़ा की बात है। मेरे साथ कुछ लोग चल रहे थे। वे कैरियर बनाने के गुर जानना चाहते थे। तभी हम वहीं निकट में बन रहे मंदिर के पास पहुँचे। कारीगर काम कर रहे थे। मैंने एक कारीगर से पूछा – 'क्यों भाई, क्या कर रहे हो' उसने कहा-'क्या करें, भाग्य में पत्थर फोड़ना लिखा है सो पत्थर फोड़ रहा हूँ।' थोड़ा-सा और चले तो पाया कि एक कारीगर और काम कर रहा था। उससे भी वही प्रश्न पूछा। उसने कहा - 'रोजी-रोटी की व्यवस्था कर रहे हैं, रोज आते हैं पत्थर की घड़ाई करते हैं और चले जाते हैं।' मैं थोडा और आगे बढ़ा। वहाँ भी एक कारीगर से यही पूछा कि 'भाई क्या कर रहे हो'? उसने कहा – 'सा'ब, एक मंदिर बना रहे हैं। धंधा तो रोज करते हैं, पर सौभाग्य है कि इस बार मंदिर बनाने का काम मिला है। इसी बहाने श्रम की चार बूंदें प्रभु के काम तो आ जाएँगी।' मैंने अपने साथ चलने वाले लोगों से पूछा- 'क्या आप समझे, इनकी बातों का राज़?' तीन व्यक्ति, तीनों एक ही काम कर रहे हैं, पर तीनों के जवाब अलग-अलग। पहला कहता है - पत्थर फोड़ रहा हूँ - अर्थात् वह मज़बूरीवश कार्य कर रहा है, पत्थर फोड़ना उसकी विवशता है। इसलिए वह मजदूर है। दूसरा कहता है – 'रोजीरोटी की व्यवस्था कर रहा हूँ।' अर्थात् वह मशीन की तरह काम कर रहा है, इसलिए वह कारीगर है। तीसरा इसे सौभाग्य मान रहा है, इसलिए लगन से, समर्पण से काम कर रहा है। कैरियर उन्हीं का बनता है जो मन लगाकर कार्य करते हैं। मन लगाकर किया हुआ काम कामयाबी का द्वार बन जाता है और बेमन से किया गया काम ही विफलता का आधार बनता है। चौथी बात : कैरियर बनाने के लिए पर 23 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003956
Book TitleKaise Banaye Aapna Career
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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