________________
ले जाते रहेंगे, और हम अपने देश की प्रतिभाओं का पलायन होते देखते रह जाएँगे। यदि हमने जातिवाद को कम नहीं किया और प्रतिभाओं का उपयोग नहीं किया तो आने वाले वर्षों में देश कंगालियत की राह पर चला जाएगा। यहाँ लोग रहेंगे, करोड़ों इन्सान होंगे, ख़ूब जनसंख्या होगी पर प्रतिभा नहीं होगी। क्या आप ऐसे परिवार, समाज की कल्पना कर सकते हैं, जिसमें लोग तो बहुत हैं परन्तु प्रतिभा एक में भी नहीं है। याद रखिए, कौवों के झुंड के बजाय दो-चार हंस भी अच्छे होते हैं । इसलिए कि आप बेहतरीन शिक्षा पाएँ । अपने बच्चों को अच्छी से अच्छी शिक्षा दिलवाएँ । 'हम दो हमारे दो' के नारे ने भारत के लोगों का जीवन-स्तर जरूर ऊँचा किया है पर जो लोग इसे नहीं अपना रहे हैं वे भी इसे अपनाएँ ताकि उनके लिए भी विकास के नए द्वार खुल सकें। उनके ढेरों बच्चे सड़कों पर आवारागिर्दी न करें। बच्चे कम होंगे तो उनका पालन-पोषण भी ठीक ढंग से हो सकेगा। वे केवल पुड़ियाएँ न बाँधें, पतंगें ही न बनाएँ, पटाखों की फैक्ट्री में न लगे रहें बल्कि अच्छी शिक्षा प्राप्त कर समाज की मुख्य धारा से जुड़ें और इज्जत की ज़िंदगी जिएँ ।
शिक्षा का स्तर तभी ऊपर उठेगा जब परिवार सीमित होगा, खर्चा सीमित होगा। आप परिवार का स्तर ऊपर उठाकर अपने समाज और देश का भी स्तर ऊपर उठा सकते हैं । प्रतिभा का उपयोग करें। माना कि राजा, राजा होता है, पर योग्यता हो तो सामान्य कुल में जन्म लेकर भी आप कुशल प्रशासक हो सकते हों। पहले भी दीवान और मंत्री होते थे । किस कारण ? प्रतिभा के कारण ।
मैं युवापीढ़ी से अनुरोध करूँगा कि वह बेहतर शिक्षा पाने के लिए सदा सजग रहे। मैं अभिभावकों से भी कहूँगा कि शिक्षा के मामले में वे लड़के-लड़की में भेद न करें। लड़कियों को भी श्रेष्ठ शिक्षा दिलवाएँ । शादी के दहेज में स्वर्णाभूषण भले ही न दें लेकिन शिक्षा का आभूषण ज़रूर दें ताकि भविष्य में कभी ससुराल में दुर्व्यवहार हो या अन्य किसी
Jain Education International
19
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org