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तीस-पैंतीस वर्ष पूर्व कोई यह कम ही सोचता था कि कंपनीज़ कैम्पस सिलेक्शन करेंगी। लेकिन अब हालात बदले हैं, कम्पनियों को भी बेहतरीन उद्यमी चाहिए। इसलिए वे भी अच्छे लोगों की तलाश में रहती हैं और कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच लोग चयन किए जाते हैं। अगर आपके पास अच्छी प्रतिभा है तो उसका उपयोग करने वाले भी हैं।
आप केवल सरकार के भरोसे न रहें। वहाँ तो आरक्षण के नाम पर, जाति और वर्ग के नाम पर प्रतिभाओं को कुचल दिया जाता है। मैं चाहता हूँ कि देश का प्रधानमंत्री निम्न से निम्न तबके का बने, लेकिन जाति के आधार पर नहीं, अपनी योग्यता और प्रतिभा के आधार पर। प्रतिभा के आधार पर अगर विकास होगा तो देश का कल्याण होगा अन्यथा जाति के आधार पर अयोग्य व्यक्ति सुयोग्य को कैसे हैंडल कर पाएगा? शिक्षा को अनिवार्य किया ही जाना चाहिए। साक्षरता शिक्षा नहीं है, देश के संविधान में लिखा जाना चाहिए कि ग्रेजुएट ही एम.एल.ए. और एम.पी. का चुनाव लड़ने की पात्रता रखते हैं। अशिक्षित लोग देश का क्या विकास करेंगे? अंगूठा छाप लोगों से क्या तुम देश का विकास करवाओगे? __ अगर आप राकेश शर्मा, कल्पना चावला, किरण बेदी जैसे लोगों पर गर्व करते हैं तो यह गर्व उनकी शिक्षा और प्रतिभा पर है। कल्पना चावला अगर अंतरिक्ष में गई तो अपनी योग्यता के बल पर। नेता तो केवल बोलते हैं। इस देश का जितना भला नेताओं ने किया है उससे दस गुना बुरा भी नेताओं ने ही किया है। नेताओं को अपन लोगों से कुछ लेना-देना नहीं है। अगर ऐसी बस्ती जहाँ अवैध कब्जा है, लेकिन दो हजार वोट संगठित हैं तो उन्हीं की बात सुनी जाएगी। हाँ, याद रखना अगर आप भी संगठित न हुए तो आप भी नकार दिए जाएँगे।
जब तक इस देश में प्रतिभाओं का सम्मान नहीं होगा, विदेशी हमारी प्रतिभाओं को आर्थिक प्रलोभन के आधार पर।
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