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जीवन का मंत्र दे दिया। तुमने कहा था कि दस और पन्द्रह में क्या फ़र्क पड़ता है। तो मैंने सोचा कि जब दस और पन्द्रह में कोई फ़र्क नहीं पड़ता तो पाँच और दस में भी कौनसा फ़र्क पड़ेगा। ___ यह बात वही सोच सकता है जो व्यक्ति अपरिग्रह पर निरन्तर चिंतन करता रहा हो, अपरिग्रहमूलक विचारों को अपने साथ निरन्तर जोड़ता रहा हो। इसलिए सावधान! अपने दिमाग़ में हमेशा अच्छे विचारों को डालें। अच्छी किताबें पढ़ें। अच्छे धारावाहिक देखें। अच्छे प्रवचन सुनें। अच्छा चिन्तन करते रहें ताकि हमारी मानसिकता, हमारा मन अच्छा रहे।
गाँधी जी ने तीन बंदरों के जरिये तीन संदेश दिए थे - बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो। आप चन्द्रप्रभ का चौथा बंदर जोड़िए जिसका संदेश है बुरा मत सोचो। जब तक हम बुरा सोचते रहेंगे तब तक बुरा देखेंगे भी, सुनेंगे भी और बोलेंगे भी। लेकिन अगर बुरा सोचना बंद कर दें तो तीनों चीज़ों पर अंकुश अपने आप लग जाएगा। आप अपने घर में चार बंदरों की कांस्य पट्टिका बनाकर लगवाएँ जिसमें गाँधी के तीन बंदर तो हो ही पर उन तीनों बंदरों से पहले चन्द्रप्रभ का चौथा बंदर ज़रूर हो। जिसकी अंगुली सर से सटी हुई हो। जिसे देखकर आपको भी और आपके घर में रहने वाले और आने वाले लोगों को इस बात का सदा संकेत मिलता रहे कि बुरा मत सोचिए।
अच्छे विचारों को लेने से बुरी सोच बदलेगी। अब तक सिक्कों की अदला-बदली बहुत हो गई। अब से अच्छे विचारों की अदला-बदली करें। किसी को शादी और जन्मदिवस पर फूलों का गुलदस्ता नहीं वरन् अच्छी किताबों का सेट दीजिए। फूलों का गुलदस्ता तो अगले दिन कूड़ेखाने में फेंक दिया जाएगा पर आपकी ओर से दी गई अच्छी क़िताबें उसके जीवन को जब-तब अच्छी रोशनी देती रहेगी। फूल क्षणिक ख़ुश्बू है पर किताब स्थायी रोशनी है। अब यह आप ही सोचिए कि आप अपने धन का क्षणिक फल चाहते हैं या स्थायी।
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