________________
की अदला-बदली करेंगे तो सिक्का एक का एक रहेगा पर विचार जितने लोगों को देंगे उतने ही विचार बढ़ते चले जाएँगे ।
अच्छे विचारवान लोगों को चाहिए कि वे सारी दुनिया में फैल जाएँ, अपने अच्छे विचारों को सारी दुनिया तक पहुँचाएँ । एक अच्छा विचार एक अच्छे चिराग़ की तरह है । उसे हम जहाँ भी रोशन करेंगे, वह अंधेरी रातों में भटकते लोगों के लिए सूरज का काम करेगा। अपने विचारों को बेहतर बनाना और अपने बेहतर विचारों की रोशनी दूसरों को प्रदान करना न केवल महान् व्यक्तित्व का आधार है, अपितु ईश्वर की सर्वोपरि पूजा है
I
अच्छे विचार आदमी के जीवन की सबसे बड़ी पूँजी होते हैं । विचार जैसे होंगे वैसा ही जीवन का परिणाम निकलेगा। कहते हैं गाँधीजी हर सुबह नाश्ते में भीगे हुए खजूर और नींबू-पानी लेते। उनके लिए रात में खजूर भिगोने का काम मोरारजी देसाई का था । वे रोज़ाना उनके लिए दस खजूर भिगोते । एक दिन मोरारजी के मन में आया कि रोज़-रोज़ क्या दस खजूर भिगोना। इतनी बड़ी काया के लिए केवल दस खजूर? मोरारजी ने सोचा कि आज पन्द्रह खजूर भिगो देता हूँ । इसी बहाने पतली काया को थोड़ी तो और पौष्टिकता मिलेगी।
अगले दिन गाँधी जी ने सुबह नाश्ते में खजूर खाने शुरू किए। खाते-खाते तृप्त हो गए, फिर भी कुछ खजूर बच गए। उन्होंने सोचा, क्या बात है । क्या आज खजूर कुछ ज़्यादा हैं ? उन्होंने मोरारजी से पूछा, 'मोरारजी, एक बात तो बताओ कि तुमने खजूर ज्यादा तो नहीं भिगोए ?' मोरारजी ने कहा, 'बापू मैंने सोचा कि दस का क्या भिगोना, इसलिए पन्द्रह भिगो दिए । अब भला दस और पन्द्रह में क्या फ़र्क पड़ता है । गाँधीजी ने वापस जवाब दिया, भाई, एक बात सुनो। कल तुम मेरे लिए पाँच खजूर ही भिगोना । ' मोरारजी ने सोचा यह तो उल्टे लेने के देने पड़ गए ।
4
पूछा क्यों क्या हो गया बापू ? बोले
तुमने मुझे
-
Jain Education International
109
For Personal & Private Use Only
CAP
www.jainelibrary.org