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होइ। चउसुचि गई इत्तो लेसाण ठिई उ वुच्छामि ॥ १ ॥ दसवाससहस्साई काऊ ठिई जहनिया होइ। तिन्नोदही पलिय असंखेजभागं च उक्कोसा ॥ २ ॥ तिष्णुदही पटिओषममसंखभागो जहन नीलठिई दसउदहीपलिओषममसंखभागं च उक्कोसा ॥ ३ ॥ दसउदही पलिओचममसंखभागं जहनिया होइ। तित्तीससागराई उक्कोसा होइ किन्हाए ॥ ४ ॥ एसा नेरइयाणं लेसाण ठिई उ बष्णिया होइ। तेण परं बुच्छामि तिरियमणुस्साण देवाणं ॥ ५ ॥ अंतोमुहत्तमदं लेसाण ठिई जहिं जहि जा उ तिरियाण नराणं वा वजित्ता केवलं लेसं ॥ ६ ॥ मुहुत्तद्धं तु जहन्ना उक्कोसा होइ पुण्वकोडी उ। नवहिं वरिसेहिं ऊणा नायव्वा सुकलेसाए ॥ ७॥ एसा तिरियनराणं लेसाण ठिई उ वष्णिया होइ। तेण परं वृच्छामि लेसाण ठिई उ देवाणं ॥ ८ ॥ दसवाससहस्साई किन्हाऍ ठिई जहन्निया होइ। पटियमसंखिन्नइमो उकोसो होइ किन्हाए ॥ ९ ॥ जा किव्हाइ लिई खलु उक्कोसा सा उ समयमम्भहिया। जहणं नीलाए पलियमसंखं च उकोसा ॥ १३४०॥ जा नीलाइ ठिई खलु उक्कोसा सा उ समयमम्भहिया। जहन्नेणं काऊए पलियमसंखं च उक्कोसा ॥ १ ॥ तेण परं बुच्छामी तेऊलेसा जहा सुरगणाणं भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणियाणं च ॥ २ ॥ पलिओवमं जना उक्कोसा सागरा उ दुण्हऽहिया पलियमसंखिजेणं होई भागेण तेऊए ॥ ३ ॥ दसवाससहस्साई वेऊइ ठिई जहन्निया होइ। दुन्नुदही पलिओवम असंखभागं च उक्कोसा ॥ ४ ॥ जा तेऊ ठिई खल उक्कोसा साउ समयमम्भहिया। जहन्नेण पम्हाए दस मुडुतहियाई उकोसा ॥ ५ ॥ जा म्हाइ० । जहन्नेणं सुकाए तित्तीस मुहुत्तमम्भहिया ॥ ६ ॥ किव्हा नीला काऊ तिनिवि लेखाउ अहम्मलेसाउ। एयाहिं विह्निवि जीवो दुग्गई उबवजई ॥ ७ ॥ तेऊ पम्हा सुका तिन्निवि एयाउ धम्मलेसाउ एयाहिं तिहिवि जीवो सुग्गई उपजाई ॥ ८॥ साहिं समाहिं पढमे समयंमि परिणयाहिं तु न हु कस्सइ उपवत्ती परे भवे अस्थि जीवस्स ॥ ९ ॥ साहिं सव्वाहिं चरमे समयंमि परिणयाहिं तु । न० ॥ १३५० ॥ अंतमुद्दत्तमि गए अंतमुहुत्तंमि सेसए चैव लेसाहिं परिणयाहिं जीवा गच्छंति परलोयं ॥१॥ तम्हा एयासि लेसाणं, अणुभावं वियाणिया अप्पसत्थाउ वज्जित्ता, पसत्थाओ अहिए ।। १३५२ ॥ त्ति बेमि, लेसज्झयणं ३४ ॥ सुणेह मे एगमणा, मग्गं सब्बन्नु (बुद्धेहिं) देसियं जमायरंतो भिक्खू, दुक्खाणंतकरो भवे ॥ ३ ॥ गिहवासं परिचज्जा, पव्वज्जामस्सिए मुणी इमे संगे वियाणिजा, जेहिं सजति मावा ॥ ४ ॥ तहेब हिंसं अलियं, चोजं अचंभसेवणं इच्छाकामं च लोभं च संजओ परिवजाए ॥ ५ ॥ मणोहरं चित्तघरं, मधूवणवासिय सकवार्ड पंडरुडोयं, मणसावि न पत्थए ॥ ३ ॥ इंदियाणि उ भिक्खुस्स, तारिसंमि उवस्सए । दुकराई निवारे (तु धारेउं), कामरागचिचढणे ॥ ७ ॥ सुसाणे सुन्नगारे वा, रुक्खमूले व इकओ। पइरिके परकडे वा, वासं तत्थऽभिरोयए ॥ ८ ॥ फासूर्यमि अणाबाहे. इत्थीहिं अणभिए। तत्थ संकप्पए वासं, भिक्खू परमसंजए ॥ ९ ॥ न सयं गिहाई कुविजा, नेव अन्नेहिं कारए गिहकम्मसमारंभे, भूषाणं दिस्सए वहो ॥ १३६० ॥ तसाणं थावराणं च सुट्टमाणं बायराण य तम्हा गिहसमारंभ, संजओ परिवज्जए ॥ १॥ नहेब भत्तपाणेसु, पयणे पावणेस य पाणभूयदयट्ठाए, न पए ण पयावए ॥ २ ॥ जलधन्ननिस्सिया जीवा, पुढवीकट्टनिस्सिया। हम्मेति भत्तपाणेसु, तम्हा भिक्खु न पयावए ॥ ३ ॥ विसप्पे सङ्घओधारे, बहुपाणविणासणे नस्थि जोइसमे सत्थे, तम्हा जोई न दीवए ॥ ४ ॥ हिरण्णं जायरुवं च मणसावि न पत्थए। समलिदुकंचणे भिक्खु, विरए कयविकए ॥ ५॥ किणतो कइओ होइ, विकिणतोय वाणिओ कयविक्रयंमि वहतो, भिक्खू हवइ न तारिखो ॥ ६ ॥ भिक्खियां न केय, भिक्खुणा भिक्खवित्तिणा। कयविकओ महादोसो, भिक्खाचित्ती सुहावहा ॥ ७॥ समुयाणं उंठमेसिजा, जहासुत्तमणिदियं लाभालाभंमि संतुडे, पिंडवायं चरे मुणी ॥ ८ ॥ अलोलो न रसे गिद्धो, जिन्भादतो अमुच्छिओ। न रसट्टाऍ भुंजिजा, जवणट्टाए महामुनी ॥ ९ ॥ अञ्चणं रयणं चेव, वंदणं पूअणं तहा इड्ढीसकारसम्माणं, मणसावि न पत्थए । १३७० ॥ सुकं झाणं झियाइजा, अणियाणे अकिंचणे वोसट्टकाए विहरिजा, जाव कालस्स पजओ ॥ १ ॥ निज्जूहिऊण आहार, कालधम्मे उबट्टिए। चइऊण माणुसं बुंदि, पहू दुक्खा विमुञ्च ॥ २ ॥ निम्ममो निरहंकारो, बीयराओ अणासवो संपत्तो केवलं नाणं, सासयं परिनिबुडे ॥ १३७३ ॥ नि बेमि, अणगारमा ३५ ॥ जीवाजीवविभति मे, सुणेहेगमणा इओ जं जाणिऊण भिक्खु, सम्मं जयइ संजमे ॥ ४ ॥ जीवा चेत्र अजीवा य, एस लोए वियाहिए। अजीवदेसमागासे, अलोए से वियाहिए ॥ ५॥ दशओ खिनओ चेव कालओ भावओ तहा। परूवणा तेसि भवे, जीवाणमजीवाण य ॥ ६ ॥ रूविणो चेवरूवा य, अजीवा दुबिहा भवे। अरूवी दसहा वृत्ता, रूविणोऽवि चउशिहा ॥ ७ ॥ धम्मत्थिकाए तहेसे, तप्पएसे य आहिए। अधम्मे तस्स देसे य, नप्पएसे य आहिए ॥ ८ ॥ आगासे तस्स देसे य, तप्पएसे य आहिए। अदासमए चेव, अरूवी दसहा भये ॥ ९ ॥ धम्माधम्मे य दोडवेए लोगमित्ता वियाहिया लोगालोगे य आगासे, समए समयखिनिए । १३८० ॥ धम्माधम्मागासा, निनिवि एए अणाइया । अपज्जवसिया चैव सङ्घद्धं तु वियाहिया ॥ १ ॥ समएवि संतई पप्प, एवमेव वियाहिए। आएसं पप्प साईए, सपज्जवसिएऽविय ॥ २ ॥ खंधा य खंपदेसा य, तप्पएसा नहेब य परमाणुणो अ बोदशा, रूविणो अचाि ॥ ३ ॥ एगत्तेण पुडुत्तेणं, खंधा य परमाणू अ लोएगदेसे लोए अ, भइअशा ते उ खित्तओ। एतो कालविभागं तु, तेसिं वृच्छं चउच्विहं ॥ ४ ॥ संतई पप्प तेऽणाई, अप्पज्जवसिआविअ लिई पटुच साईआ, सप्पजवसिआवि ॥ ५ ॥ असंखकालमुकोर्स, इकं समयं जहन्नयं अजीवाण य रूवीणं, ठिई एसा विआहिआ ॥ ६ ॥ अनंतकालमुकोर्स, इकं समयं जहणणयं अजीवाण य रूवीणं, अंतरेयं विजहि ॥ ७॥ ओ गंधओ व रसओ फासओ तहा। संठाणओ य विन्नेओ, परिणामो तेसि पंचहा ॥ ८ ॥ वन्नओ परिणया जे उ, पंचहा ते पकित्तिया किव्हा नीला य लोहिया, हालिदा सुकिला तहा ॥ ९ ॥ गंधओ परिणया जे य, दुबिहा ने वियाहिया सुभिगंधपरिणामा, दुब्भिगंधा तहेव य ॥ १३९०॥ रसओ परिणया जे उ, पंचहा ते पकित्तिया। तित्तकडुयकसाया, अंबिला महुरा तहा ॥ १ ॥ फासओ परिणया जे उ, अट्टहा ते पकिलिया। कक्खडा मउया चेत्र, गुरुया लहुया तहा ॥ २ ॥ सीया उन्हाय निदा य, तहा लुक्खा य आहिया इति फासपरिणया एए, पुग्गला समुदाहिया ॥ ३ ॥ संठाणपरिणया जे उ, पंचहा ते पकित्तिया परिमंडला य वट्टा य, तंसा चउरंसमायया ॥ ४ ॥ वण्णओ जे भवे किन्हे भइए १२९४ उत्तराध्ययनानि मूलसूत्र, अजलयणं- 25
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मुनि दीपरत्नसागर
म्य
कश्य