________________
का
रिसं दुसमपट्टिईयं तं पढमसमए बद्धं बिइयसमए वेइयं तइयसमए निजिन्नं तं बद्धं पुढं उदीरियं वेइयं निज्जिन्नं, सेयाले अकम्मं चावि भवइ । ८५॥ अहाउयं पालइत्ता अंतोमुहुत्तदावसेसाए जोगनिरोहं करेमाणो सहमकिरिय अप्पडिवाई सुकझाणं झायमाणे तप्पढमयाए मणजोगं निरंमइ, वयजोगं निरंभइ, आणापाणनिरोहं करेइ, ईसिपंचहस्सक्खरुच्चारणद्धाए य णं अणगारे समुच्छिन्नकिरियं अणियट्टिकज्झाणं झियायमाणे वैयणिजं आउयं नामं गुत्तं च एए चत्तारिवि कम्मंसे जुगवं खवेइ । ८६ । तओ ओरालिये कम्माई च साहिं विप्पजहणाहिं विप्पजहित्ता उज्जुसेढीपत्ते अफुसमाणगई उड्ढं एगसमएणं अविग्गहेणं तत्थ गंता सागारोवउत्ते सिज्झइ जाव अंत करेइ १८७। एसो खलु सम्मत्तपरकमस्स अज्झयणस्स अट्टे समणेणं भगवया महावीरेण आघविए पत्नविए परूचिए दंसिए निर्दसिए उपदंसिए । ८८। ति बेमि सम्मत्तपरकम २९ ॥ जहा उ पावगं कम्मं रागदोससमज्जियं खवेइ तवसा भिक्खू, तमेगग्गमणो सुणे ॥ १०९८ ॥ पाणिवहमुसावाया अदत्तमेहुणपरिम्हा विरओ राईभोयणविरओ, जीवो भवइ अणासवो ॥९॥ पंचसमिओ तिगुत्तो, अकसाओ जिइंदिओ जगारवो य निस्सलो, जीवो भवइ अणासवो ॥ ११०० ॥ एएसि तु चिक्जासे, रागद्दोससमज्जियं । खवेइ तं जहा भिक्खू, तं मे एगमणा सुण ॥१॥ जहा महातलागस्स, संनिरुद्धे जलागमे। उस्सिंचणाए तवणाए. कमेण सोसणा भवे ॥ २ ॥ एवं तु संजयस्सावि, पावकम्मनिरासवे । भवकोडीसंचियं कम्मं तवसा निज्जरिज्जइ ॥ ३ ॥ सो तवो दुविहो वृत्तौ बाहिरऽच्मंतरो तहा। बाहिरो छविहो वृत्तो, एवमभितरी तवो ॥ ४ ॥ अणसणमूणोअरिया भिक्खायरिया य रसपरिच्चाओ। कायकिलेसो संलीणया य बज्झो तवो होइ ॥ ५ ॥ इत्तरियमरणकाला य, अणसणा दुविहा भवे इत्तरिया सावकखा, निरखकखा उ विज्जियां ॥ ६ ॥ जो सो इत्तरियतवो, सो समासेण छबिहो। सेढितवो पयरतवो घणो य तह होइ वग्गो य ॥ ७ ॥ तत्तो य वगवग्गो उ पंचमो छट्टओ पइन्नतवो। मणइच्छियचित्तत्थो नायको होइ इत्तरिओ ॥ ८ ॥ जा सा अणसणा मरणे, दुबिहा सा वियाहिया सवीयारमवीयारा कार्याचिङ्कं पई भवे ॥ ९ ॥ अह्वा सपरिकम्मा, अपरिकम्मा य आहिया । नीहारिमणीहारी, आहारच्छेअओ दुखुवि ॥ १११० ॥ ओमोअरणं पंचहा, समासेण वियाहियं दवओ खित्तकालेणं, भावेणं पज्जवेहि य ॥१॥ जो जस्स उ आहारो, तत्तो ओमं तु जो करे जहन्नेणेगसित्थाई, एवं दद्वेण ऊ भवे ॥ २ ॥ गामे नगरे नह रायहाणिनिगमे य आगरे पड़ी। खेडे कच्चडदोणमुहपट्टणमडवसंवाहे ॥ ३॥ आसमपए विहारे संनिवेसे समा (भा) यघोसे य। थलिसेणाखंधारे सत्ये संवह कोट्टे य ॥४॥ वाडेसु य रत्थासु य घरेसु वा एवमित्तियं खित्तं । कम्पइ उ ए माई एवं खित्तेण ऊ भवे ॥ ५ ॥ पेडा य अपेडा गोमुत्ति पयंगवीहिया चैव संबुकावट्टायय गंतुंपच्चागया छड्डा ॥ ६ ॥ दिवसस्स पोरिसीणं चउण्हंपि उ जत्तिओ भये कालो। एवं चरमाणो खलु कालप्रेमाणं मुणेयवं ॥ ७ ॥ अह्वा तद्वयपोरिसीए, ऊणाए घासमेसंतो। चउभागूणाए वा, एवं कालेण ऊ भवे ॥ ८ ॥ इत्थी वा पुरिसो वा अलंकिओ वाऽणलंकिओ बावि । अन्नयरवयत्थो वा अण्णयरेणं च वत्थेणं ॥ ९ ॥ अण्णेण विसेसेणं वण्णेणं भावमणुमुते । एवं चरमाणा खलु भावोमोणं मुणेयवं ॥ ११२० ॥ दवे खित्ते काले भावमि य आहिया उ जे भाषा। एएहिं ओमचरओ पज्जवचरओ भवे भिक्खु ॥ १ ॥ अद्भुविहगोयरमां तु. तहा सत्तेव एसणा। अभिग्गहा य जे अन्ने, भिक्वारियमाइ (हि) या ॥ २ ॥ खीरदहिसप्पिमाई, पणीयं पाणभोयणं । परिवज्जणं रसाणं तु, भणियं रसविकजणं ॥ ३ ॥ ठाणा वीरासणाईया, जीवस्स उ सुहावहा। उग्गा जहा धरिजंति, कायकिलेसं तमाहियं ॥ ४ ॥ एतमणावाए, इत्थी पविवज्जिये। सयणासणसेवणया, विवित्तं सयणासणं ॥ ५ ॥ एसो बाहिरगतवो, समासेण वियाहिओ अग्भितरं तवं इत्तो, वृच्छामि अणुपुष्वसो ॥ ६ ॥ पायच्छिन्तं विणओ वेयावच्च तहेव सज्झाओ। झाणं च विसग्गो, एसो अभितरो तवो ॥ ७॥ आलोअणारिहाईयं, पायच्छित्तं तु दसविहं । जे भिक्खू बहई सम्मं, पायच्छित्तं तमाहियं ॥ ८॥ अच्मुद्वाणं अंज (गंज) लिकरणं, तहेवासणदायणं । गुरुभत्तिभावसुस्सूसा, विणओ एस वियाहिओ ॥ ९ ॥ यरियमाइयंमि, वेयावचे य दसविहे। आसेवणं जहाथामं, वेयावचं तमाहियं ॥ ११३०॥ वायणा पुच्छणा चेव, तहेव परियहणा अणुप्पेहा धम्मकहा, सज्झाओ पंचहा भवे ॥ १ ॥ अहरुदाणि वज्जित्ता, झाइजा सुसमाहिए। धम्मसुकाई झाणाई, झाणं तं तु बुहा वए (वयन्ति ॥ २ ॥ सयणासण ठाणे वा, जे उ भिक्खू ण वावरे कायस्स विउस्सग्गो, छट्टो सो परिकित्तिओ ॥ ३ ॥ एवं तवं तु दुविहं, जं सम्मं आयरे मुणी से खिप्यं सङ्घसंसारा. विप्पमुचइ पंडिए ॥ ११२४ ॥ त्ति बेमि तवमग्गिनं ३० ॥ चरणविहिं पवक्खामि, जीवस्स उ सुहावहं। जं चरिता बहू जीवा, तिम्रा संसारसागरं ॥ ५॥ एगओ विरदं कुज्जा, एगओ अ पवत्तणं अस्संजमे नियत्तिं च संजमे य पवत्तणं ॥ ६ ॥ रागद्दोस य दो पावे. पात्रकम्मपत्रत्तणे जे भिक्खू रुंभइ निचं, से न अच्छइ मंडले ॥ ७ ॥ दंडाणं गारवाणं च सहाणं च तियं तियं जे भिक्खु ० ॥ ८ ॥ दिवे य जे उवसग्गे, तहा तेरिच्छमाणुसे । जे भिक्खू० ॥ ९ ॥ विगहा कसायसन्नाणं, झाणाणं च दुयं तहा। जे भिक्खु०॥११४०॥ वसु इंदियत्थेसु, समिईसु किरियासु य जे भिक्खू० ॥१॥ लेसासु छसु काएस, छक्के आहारकारणे जे भिक्खू० ॥ २ ॥ पिंडुग्गह पडिमासु, भयट्ठाणेसु सत्तसु । जे भिक्खू० ॥ ३ ॥ मए बंभगुत्तीसु, भिक्खुधम्मंमि दसविहे जे भिक्खु ॥ ४ ॥ उवासगाणं पडिमासु, भिक्खूणं पडिमा य जे भिक्खू० ॥ ५ ॥ किरियासु भूयगामेसु परमाहम्मिएस य जे भिक्खू० ॥ ६ ॥ गाहासोलसएहिं नहा अस्सं जमंमि य जे भिक्खुः ॥ ७ ॥ बंभंमि नायज्झयणे, ठाणेसु यऽसमाहिए। जे भिक्खू० ॥ ८॥ इकवीसाए सबले, बाबीसाए परीसहे जे भिक्खू० ॥ ९ ॥ तेवीसईसुयगडे, रूचाहिए सुरेषु य जे भिक्खू० ॥ ११५० ॥ पणवीसा भावणाहि च, उद्देसेस दसाइणं जे भिक्खू० ॥ १ ॥ अणगारगुणेहिं च, पगप्पंमि तहेव य जे भिक्खू० ॥ २ ॥ पावसुयप्पसंगेमु, मोहट्टाणेसु चैव य जे भिक्खू० ॥ ३ ॥ सिद्धाइगुण जोगेसु, नित्तीसासायणासु य जे भिक्खू जयई निचं. से न अच्छइ मंडले ॥ ४॥ इइ एएस जे भिक्खु, ठाणेसु जयई सया खिप्पं से सङ्घसंसारा, विप्पमुच्चइ पंडिए । ११५५ ॥ त्तित्रेमि, चरणविहिजं ३१॥ अच्चतकालस्स समूलयस्स, सङ्घस्स दुक्खस्स उ जो प ( उ ) मोक्खो । तं भासओ मे पडिपुन्नचित्ता ! सुणेह एगग्गहियं हियत्थं ॥ ६ ॥ णाणस्स सङ्घ (च) स्स पगासणाए, अन्नाणमोहस्स विवजणाए। रागस्स दोसस्स य संखएणं, एगंतसुक्ख समुवेइ मोक्खं ॥ ७॥ तस्सेस मग्गो गुरुविद्धसेवा, विवज्ञणा १२९१ उत्तराध्ययनानि मूलसूत्रं, अन्सयाणं - ७३२ मुनि दीपरत्नसागर
1
1
1