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________________ अकामकामे, अन्नायएसी परिव्वए जे स भिक्खू ॥४॥राओवरयं चरिज लाढे, विरए वेदवियाऽऽयरक्खिए। पन्ने अभिभूय सव्वदंसी, जे कम्हिवि न मुच्छिए स भिख् ॥५॥ अक्कोसवहं विदित्तु धीरे, मुणी चरे लाढे निञ्चमायगुत्ते। अब्बग्गमणे असंपहिढे, जो कसिणं अहिआसए स भिक्खू ॥६॥ पंत सयणासणं भइत्ता, सीउण्हं विविहं च दंसमसगं। अव्वग्गमणे असंपहिहे, जो कसिणं अहिआसए स भिक्खू ॥७॥नो सकियमिच्छई न पूअं, नोविय वंदणगं कुओ पसंसं ?। से संजए सुब्बए तवस्सी, सहिए आयगवेसएस भिक्खू ॥८॥ जेण पुणो जहाइ जीवियं, मोहं वा कसिणं नियच्छई । नरनारि पयहे सया तवस्सी, न य कोऊहलं उवेइ स भिक्खू ॥९॥ छिन्नं सरं भोमं अंत. लिक्खं, सुविणं लकखणं दंडं वत्थुविज । अंगविगारं सरस्स विजयं, जो विजाहिं न जीवई स भिक्खू ॥५००॥ मंतं मूलं विविहं विजचिंतं. वमणविरेयणधूमनित्तसिणाणं । आउरे सरणं तिगिच्छियं च तं परिन्नाय परिवए स भिक्खू ॥१॥ खत्तियगण उग्गरायपुत्ता, माहणभोई य विविहा सिप्पिणो। नो तेसिं वयइ सिलोगपूर्ज, तं परिन्नाय परिचए स भिक्खू ॥२॥ गिहिणो जे पवइएण दिट्ठा, अप्पवइएण व संथुया हविजा। तेसिं इहलोयफलट्टयाए, जो संथवं न करेइ स भिक्खू ॥३॥ सयणासणपाणभोयणं, विविहं खाइमसाइमं परेसिं। अदए पडिसेहिए नियंठे, जे तत्थ ण पओसई स भिक्खू ॥४॥ जंकिंचाहारपाणगं विविहं, खाइमसाइमं परेसिं लटुं। जो तं तिविहेण नाणुकपे, मणवयकायसुसंबुडे जे स भिक्खू ॥५॥ आयामगं चेव जवोदणं च, सीयं सोवीर जवोदगं च । नो हीलए पिंडं नीरसं तु, पंतकुलाणि परिव्यए जे स भिक्खू ॥६॥ सदा विविहा भवंति लोए, दिव्या माणुसया तहा तिरिच्छा। भीमा भयभेरवा उराला, जो सुच्चा ण बिहिजई स भिक्खू ॥७॥ वायं विविहं समिच्च लोए, सहिए खेयाणुगए अ कोवियप्पा। पन्ने अभिभूय सव्वदंसी, उवसंते अविहेडए स भिक्खू ॥८॥ असिप्पजीवी अगिहे अमिते, जिइंदिओ सबओ विष्पमुक्के । अणुकसाई लहु अप्पभक्खी, चिचा गिह एगचरे स भिक्खू ॥५०९॥ सभिक्खुअज्झयणं १५॥ सुअं मे आउसं! तेणं भगवया एवमक्खायं-इह खलु थेरेहिं भगवंतेहिं दस बंभचेरसमाहिठाणा पनत्ता जे भिक्खू सुच्चा निसम्म संजमबहुले संवरत्रहुले गुत्ते गुतिदिए गुत्तर्वभयारीसया अप्पमते विहरिजा।२। कयरे खलु थेरेहिं भगवतेहिं दसबंभचेरसमाहिट्ठाणा पन्नत्ता?, इमे खलु ते जाव विहरिजा, तंजहा-विवित्ताई सयणासणाई सेक्जिा से निम्गंथे, नो इत्थीपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाई सेवित्ता हवद से निम्गंथे, त कहं इति चेदायरियाह-निग्गंथस्स खलु इस्थिपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाई सेवमाणस्स भयारिस्स घंभचेरे संका वा कंखा वा वितिगिच्छा वा समुष्प जिजा, भेयं वा लभिजा, उम्मायं वा पाउणिजा, दीहकालियं वा रोगायकं हविजा, केवलिपन्नत्ताओ धम्माओ वा मंसिजा, तम्हा नो इस्थिपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाई सेवित्ता हवइ से निम्नथे ।३। नो इत्थीणं कहं कहिना बहिबई से निग्गंथे, तं कहमिति चेदायरियाऽऽह-निग्गंथस्स खलु इत्थीणं कहं कहेमाणस्स भयारिस्स० मंसिज्जा तम्हा नो इत्थीणं कहं कहिना ४ानो इत्थीहिं सदि संनिसिज्जागए विहरित्ता हवइ से निग्गंथे, तं कहं इति चेदायरियाऽऽह-निम्गंथस्स खलु इत्थीहिं सहिं संनिसिजागयस्स घंभचेरे भंसिज्जा, तम्हा खलु नो निग्गंथे इत्थीहिं सदिं संनिसिजागए विहरइ । ५। नो इत्थीणं इंदियाई मणोहराई मणोरमाई आलोइत्ता निझाइना हवइ से निग्गथे, तं कहं इति चेदायरियाऽऽह-निग्गंथस्स खलु इत्थीणं इंदियाई मणोहराई मणोरमाई जाच निज्झाएमाणस्स भचेरे० मंसिजा, तम्हा खलु निग्गथे नो इत्थीणं इंदियाई निज्झाइजा।६। नो निग्गंथे इत्थीणं कुडं. | तरंसि वा दूसंतरंसि वा भित्तिअंतरंसि वा कूइयसई वा रुदयसई वा गीयसई वा हसियसई वा थणियसई वा कैदियसई चा विलवियसई वा सुणित्ता हवद से निम्गथे, तं कहं इति चेदायरियाऽऽह-इत्थीणं कुड्डंतरंसि वा दूसंतरसि वा भित्तिअंतरसि वा जाव विलावियसई वा सुणमाणस्स भयारिस्स जाव भंसिजा, तम्हा खलु निग्गथे नो इत्यीणं कुड्डतरंसि वा जाव सुणेमाणे विहरिजा।७। नो निगथे पुश्वरयं पुत्रकीलियं अणुसरित्ता हवइ, तं कहं इति चेदायरियाऽऽह-निम्गंधस्स खलु इत्थीर्ण पुवरयं पुत्रकीलियं अणुसरमाणस्स बंभयारिस्स बंभचेरे भसिज्जा, तम्हा खलु नो निम्मंथे इत्थीणं पुश्वरयं पुत्रकीलियं अणुसस्जिा।८ानो निग्मांधे पणीय आहारं आहारिना हबद से निम्गथे, ने कहं इति चेदायरियाऽऽह-निग्गंधस्स णं पणीयं पाणभोयणं आहारेमाणस्स बंभयारिस्स भंसेजा, तम्हा खलु नो निग्गंधे पणीयं आहारं आहारिजा।।नो अइमायाए पाणभोयणं आहारित्ता हवइ से निग्गंथे, न कहं इनि चेदायरियाऽऽह| अइमायाए पाणभोयणं आहारेमाणस्स भयारिस्स भंसेजा,तम्हा खलु नो निमांथे अइमायाए पाणभोयणं भुंजिजा।१०ानो विभूसाणुवाई हवइसे निरगंथे, तं कहं इति चेदायरियाऽऽह-विभूसावनिए विभूसियसरीरे इत्थिजणस्स अभिलसणिजे हवइ, तओणं तस्स इत्थिजणेणं अभिलसिज्जमाणस्स बंभयारिस्सभसिज्जा, तम्हा खलु नो निग्गंथे विभूसाणुवाई सिया।१शनो सहरूवरसगंधफासाणुवाई हवइ से निरगंथे, ते कहं इति चेदायरियाऽऽह-निग्गंथस्स खलु सहरूवरसगंधफासाणुवाइयस्स भयारिस्स० लभिज्जा उम्मायं वा पाउणिज्जा दीहकालियं वा रोगार्यकं हविज्जा केवलिपन्नत्ताओ धम्माओ वा भंसिजा, तम्हा खलु नो निरगंथे सहरूबरसगंधफासाणुवाई हवइसे निम्नथे, दसमे बंभचेरसमाहिठाणे हवइ।१२। भवन्ति य एत्य सिलोगा-'तंजहा-जं विवित्तमणाइन, रहियं थीजणेण या बंभचेरस्स रक्खडा, आलयं तु निसेवए॥५१०॥मणपल्हायजणणी, कामरागविवड्दणी। बंभचेररओ भिक्खू, श्रीकहं तु विक्जए॥१॥समंच संथवं थीहि, संकहं च अभिक्खणं । चंभचेररओ भिक्खू, निच्चसो परिवजए| अंगपञ्चंगसंठाणं, चारवियपेहियं । चंभचेररओ थीणं, सोअगिझं विवजए॥३॥ कुइयं रुइअंगीयं, हसियं थणियं कंदियं । भचेररओ थीणं, सोअगिझं विवजए॥४॥हासं खिड्ड रई दप्पं, सहसावत्तासियाणि या बंभचेररओ थीणं, नाणुचिंते कयाइवि॥५॥पणीयं भत्तपाणं च, खिप्पं मयविवड्ढण । भचेररओ भिक्खू, निचसो परिवजए॥६॥धम्मलद्ध(म्म ल ) मियं काले, जनन्थ पणिहाणवं । णाइमत्तं तु जिजा, चंभचेररओसया॥७॥ विभूसं परिवजिजा,सरीरपरिमंडणं। भचेररओ भिक्खू, सिंगारत्थंनधारए॥८॥ सद्दे रुवेय गंधेय, रसे फासे तहेव या पंचविहे कामगुणे, निचसो परिवजए॥९॥ आलओ धीजणाइन्नो, थीकहा यमणोरमा। संधबो चेव नारीणं, तासिं इंदियदरिसणं ॥५२०॥ कुइयं कइयं गीर्य, हसियं भुत्तासियाणि यापणीयं भत्तपाणं च, अइमायं पाणभोयणं ॥१॥ गत्तभूसणमिटुंच, कामभोगा य दुजया। नरस्सऽनगवेसिस्सा, १२७९ उत्तराध्ययनानि मूलसूत्र, मन्का मुनि दीपरनसागर
SR No.003945
Book TitleAagam Manjusha 43 Mulsuttam Mool 04 Uttarjjhayanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages31
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_uttaradhyayan
File Size24 MB
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