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________________ उऊ जहाविभवेणं माणमाणे कालं गालेमाणे इढे सहफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पचणुभवमाणे विहरइ, तए णं खत्तियकुंडग्गामे नगरे सिंघाडगतियचउकचच्चर जाव बहुजणसदेह वा जहा उपवाइए जाच एवं पनवेइ एवं परुवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीर आदिगरे जाव सम्वन्नू सचदरिसी माहणकुंडग्गामस्स नगरस्स बहिया बहुसालए चेइए अहापटिरूपं जाव विहरइ, तं महाफलं खलु देवाणुपिया ! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं जहा उववाइए जाव एगाभिमुद खत्तियकुंडग्गामं नगरं मझमोणं निग्गच्छति त्ता जेणेव माहणकटग्गामे नगरे जेणेच पहुसालए चहए एवं जहा उबवाइए जाव तिविहाए पज्जवासणाए पज्जुवासंति, तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकमारस्मतं महया जणसह पा जाच जणसनिवार्य वा सुणमाणस्स वा पासमाणस्स या अयमेयारूवे अज्झस्थिए जाव समुप्पजित्था-किन्नं अज्ज खत्तियकुंडग्गामे नगरे इंदमहेइ वा खंदमहेइ वा मुगुंदमहेइ वा रुहमहेइ वा णागमहेइ वा जक्खमहेइ वा भूयमहेइरा कूवमहेइ वा तडागमहेइ वा नईमहेइ वा दहमहेइ वा पव्वयमहेइ वा रुक्खमहेइ वा चेइयमहेइ वा थूभमहेह वा | जणं एए बहवे उग्गा भोगा० राइना इक्खागाणाया० कोरब्बा० खत्तिया खत्तियपुत्ता भडा भडपुत्ता जहा उबवाइए जाब सत्यवाहप्पभिइओ व्हाया कयचलिकम्मा जहा उववाइए जाव निम्गच्छंति , एवं संपेहेइ त्ता कंचुइजपुरिसं सदावेति त्ता एवं वयासी-किण्हं देवाणुप्पिया! अज खत्तियकुंडग्गामे नगरे इंदमहेइ वा जाय निग्गच्छंति?, तए णं से कंचुइजपुरिसे जमालिणा खत्तियकुमारेणं एवं वृत्ते समाणे हद्वतुढे समणस्स भगवओ महावीरस्स आगमणगहियविणिच्छए करयल जमालिं खत्तियकुमार जएणं विजएणं वदावेइ त्ता एवं वयासी. जो खलु देवाणुप्पिया! अज खत्तियकुंडग्गामे नयरे इंदमहेइ वा जाव निग्गच्छन्ति, एवं खलु देवाणुप्पिया ! अज समणे भगवं महावीरे जाव सम्बनू सब्बदरिसी माहणकुंडगामस्स नयरस्स बहिया बहुसालए चेइए अहापडिरूवं उग्गहं जाव विहरति, तए णं एए बहवे उग्गा भोगा जाव अप्पेगइया बंदणवत्तियं जाव निग्गच्छंति, तए णं से जमाली खत्तियकुमारे कंचुइज्जपुरिसस्स अंतिए एयमढे सोचा निसम्म हट्टतुट्ट० कोढुंचियपुरिसे सदावेइत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! चाउग्धंट आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह त्ता मम एयमाणत्तियं पञ्चप्पिणह, तए ण ते कोटुंबियपुरिसा जमालिणा खत्तियकुमारेणं एवं वुत्ता समाणा जाव पञ्चप्पिणंति, तए णं से जमाली खत्तियकुमारे जेणेव मजणघरे तेणेव उवागच्छहत्ता व्हाए कयबलिकम्मे जहा उववाइए परिसावन्नओ तहा भाणिया जाव चंदणोकिनगायसरीरे सबालंकारविभूसिए मजणघराओ पडिनिक्खमइ ता जेणेव पाहिरिया उबट्ठाणसाला | जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइत्ता चाउग्घंट आसरह दुरूहेइ त्ता सकोरंटमछदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं महया भडचडकरपहकरवंदपरिक्खित्ते खत्तियकुंडग्गामं नगरं मझमझेणं निग्गच्छहत्ता जेणेव माहणकुंडग्गामे नगरे जेणेच बहुसालए चेइए तेणेव उवागच्छा त्ता तुरए निगिव्हइ त्ता रह ठवेइ त्ता रहाओ पचोरहति त्ता पुष्फतंबोलाउहमादीयं वाहणाओ य विसज्जेह त्ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ त्ता आयंते (अहोए) चोक्खे परमसुइभूए अंजलिमउलिय(प्र० गा)हत्ये जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छह त्ता समर्ण भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ जाव तिविहाए पजुवासणाए पजुवासइ, तए णं समणे भगवं महावीरे जमालिस्स खत्तियकुमारस्स तीसे य महतिमहालियाए इसि जाव धम्मकहा जाव परिसा पडिगया, तए णं से जमाली खत्तियकुमारे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मं सोचा निसम्म हट्ठ जाव उवाए उद्देइत्ता समर्ण भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव नमसइ त्ता एवं क्यासी-सदहामि णं भंते ! निम्गंथं पावयणं पत्तियामि णं भंते ! निम्गंथं पावयणं रोएमि णं भंते ! निम्गंथं पावयणं अन्भुडेमि णं भंते! नियाथं पावयणं, एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते! अवितहमेयं भंते! असंदिद्धमेयं भंते! जाव से जहेयं तुझे बदह, जं नवरं देवाणुप्पिया ! अम्मापियरो आपुच्छामि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिय मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पच्चयामि, अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पढिबंध०।३८२४ तए णं से जमाली खत्तियकुमारे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हद्वतुढे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता तमेव चाउग्जंट आसरहं दुरूहेइ त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियाओ बहुसालाओ चेहयाओ पडिनिक्खमइ ता सकोरंट जाव परिजमाणेणं महया भडचडगरजावपरिक्खित्ते जेणेव खत्तियकुंडग्गामे नयरे तेणेव उवागच्छहत्ता खत्तियकंडग्गाम नगर मनमोणं जेणेव सए गिहे जेणेव पाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छह त्ता तुरए निगिण्हइ ता रहं ठवेह त्ता रहाओ पचोरुहइ त्ता जेणेव अभितरिया उबट्ठाणसाला जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छदत्ता अम्मापियरो जएणं विजएणं बतायेह सा एवं क्यासी एवं खलु अम्मताओ ! मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मे निसंते, सेऽविय मे धम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरु. इए, तए णं तं जमालि खत्तियकुमार अम्मापियरो एवं वयासी-धो सिणं तुर्म जाया! कयत्ये सिणं तुम जाया कयपुगे सिणं तुम जाया! कयलक्खणे सिणं तुम जाया! ज तुमे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्मे निसंते सेऽविय घम्मे इच्छिए पडिच्छिए अभिखए, तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो दोचंपि एवं वयासी-एवं खलु मए २५५ श्रीभगवत्यंग - Setos मुनि दीपरत्नसागर
SR No.003905
Book TitleAagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages248
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size169 MB
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