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व्यवहार और स्वभाव : व्यक्तित्व-विकास का पहला आधार
आज का युग नई पीढ़ी का युग है। बाल्यावस्था जीवन का वह चरण है जिसमें सम्पूर्ण जीवन की आधार-भूमिका तैयार होती है। आज का बालक कल के विश्व का भविष्य है। वह समाज का भावी कर्णधार और राष्ट्र का भावी नागरिक होगा। राष्ट्र के संस्कार और विकास की बहुविध संभावनाएँ बाल-जगत् से जुड़ी हुई हैं। परिवार की सारी आशाएँ और अपेक्षाएँ उस परिवार में जन्म लेने वाले बालक पर ही केन्द्रित होती हैं। वंश-परम्परा का नाम पीढ़ी-दर-पीढ़ी आगे बढ़ाने के लिए भी हर परिवार की यह अभिलाषा रहती है कि उसके घर में कम-से-कम एक पुत्र तो अवश्य हो।
बाल्यकाल जीवन की प्रारम्भिक अवस्था है जिसमें उसकी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं का जन्म और विकास होता है। मनुष्य को अपने
व्यवहार और स्वभाव : व्यक्तित्व-विकास का पहला आधार
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