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________________ प्रक्रियाओं का नेतृत्व कर लेता है। चिन्तन और तर्क के बलबूते पर ही व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं और समस्याओं को भली-भाँति समझता है, उनकी थाह लेता है । जीवन या अस्तित्व से जुड़ी किसी भी प्रकार की समस्या क्यों न हो, समाधान के लिए चिन्तन और तर्क का ही इस्तेमाल किया जाता है । खेत-खलिहान की पैदाइश हल पर टिकी है और समस्याओं के हल के लिए चिन्तन और तर्क हैं। बगैर हल के जीवन की प्रगतियाँ कुण्ठित और नामर्द हैं। समस्याओं के अस्तित्व से इंकार नहीं किया जा सकता । व्यक्ति, समाज, राष्ट्र या विश्व किसी-न-किसी समस्या के दबाव से घिरा - दबा है। शायद ही धरती पर कोई ऐसा क्षेत्र हो जिसे पूर्णतया समस्या - मुक्त घोषित किया जा सके। कहीं पानी की समस्या है, तो कहीं बाढ़ की । कल अभाव की समस्या थी, आज स्वभाव की समस्या है। निरक्षरता समस्या है तो साक्षरों की बेरोजगारी भी समस्या है। कल तक जो यह कहकर ईमान को बेचने से कतराते थे कि उनके बाल-बच्चों का अनर्थ हो जाएगा, वे ही लोग यह कहते हुए पाए जाते हैं कि ईमानदारी रखकर क्या बालबच्चों को भूखों मारना है? ईमानदारी और बेईमानी दोनों ही समस्या बन गए हैं। दंगा-फसाद कराने वालों के लिए धर्म तो समस्या है ही, अब तो धर्म-निरपेक्षता भी एक समस्या है। लगता है व्यक्ति-व्यक्ति, समाजसमाज, देश-देश तो क्या सारा जहान ही समस्याओं के कांटेदार रास्तों पर चल रहा है। आज माना कि समस्याएँ ढेर सारी हैं, पर समाधान भी कम नहीं हैं। इंसानियत लम्बे इतिहास में मनुष्य के कदम समाधान की ओर निरन्तर प्रयत्नशील हैं । समाधान की जितनी सम्भावना थी, निश्चित तौर पर वे उतने नहीं ढूँढे सके, पर पूरी तरह असफलता भी नहीं मिली। जब तक इस धरती पर इंसान रहेगा, समस्याएँ पैदा होती रहेंगी, समाधान ढूँढे जाते रहेंगे। अंधकार को प्रकाश की चुनौतियाँ मिलती रहेंगी। कुछ समस्याएँ ऐसी होती हैं जिनकी पैदाइश हम करते हैं, पर वे ५८ Jain Education International कैसे करें व्यक्तित्व - विकास For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003900
Book TitleKaise kare Vyaktitva Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2003
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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