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________________ बालक जो कुछ करता है, वह उसी को करना चाहता है । वह खेल रहा है तो वह वास्तव में खेलना ही चाहता है। उसके किसी क्रिया-कलाप किसी भी प्रकार का अवरोध उपस्थित होना, बच्चे के लिए क्रोध-काकारण है। हाँ अगर बच्चा थक गया है, कमजोरी महसूस करता है या किसी रोग से आक्रान्त है तब भी वह छोटी - छोटी-सी बात पर भी क्रोधित हो जाता है। पर इसे स्पष्ट रूप में क्रोध न कहकर, चिड़चिड़ापन कहना ज्यादा ठीक है । प्राय: यह भी देखा जाता है कि बच्चा उस समय भी चिड़चिड़ा उठता है जब उसे चिढ़ाते हैं । जैसे बाल उतार दिए जाने के बाद 'मोडा' या 'गंजे लाल' कहना, काले रंग का होने पर 'कालिया' कहना, दूध-मुँहें दाँत गिर जाने पर यह कहा जाना कि इसके दाँत तो चुहिया खा गई है। चिढ़ाने का यह काम या तो उसके भाई-बहिन करते हैं या उसके संगी-साथी । चिढ़ाने से चिड़चिड़ाना वास्तव में क्रोध की ही अभिव्यक्ति है । बालक यह भी नहीं चाहते कि उन्हें कोई ऐसा काम करने का निर्देश मिले जो या तो उनकी क्षमता से परे हो या उनकी रुचि के अनुकूल न हो । माता-पिता, अभिभावक या अध्यापक आदि उन्हें कभी-कभी ऐसा काम करने का निर्देश दे देते हैं । स्वाभाविक है कि बच्चा इससे क्रोधित होगा, फिर चाहे वह अपने क्रोध की अभिव्यक्ति मुँह पर करे या फिर उस क्रोध का घूँट पीकर रह जाए। वास्तव में बच्चों में अपनी खुद की कमजोरियों एवं कठिनाइयों के कारण प्राय: कड़वाहट एवं चिड़चिड़ाहट आ जाती है। प्रारम्भ में तो बच्चे क्रोध की स्थिति में रोते हैं, हाथ-पैर पटकते हैं, दाँत पीसने लगते हैं, पछाड़ खाकर जमीन पर लोटने लगते हैं, घूँसें और लातें मारने लगते हैं मगर जैसे-जैसे बालक की उम्र में वृद्धि होती जाती है, क्रोध की अभिव्यक्ति के स्वरूप में अन्तर आने लगता है । बाद में वह तभी क्रोध करता है, जब क्रोध करने का अवसर उपस्थित होता है । > माता-पिता या बड़े बुजुर्गों को चाहिए कि वे अपने बच्चों की स्वाभाविक क्रियाओं में बाधा न डालें। वे उनकी आवश्यकताओं और संयम रखें, क्रोध के संवेग पर Jain Education International For Personal & Private Use Only ३१ www.jainelibrary.org
SR No.003900
Book TitleKaise kare Vyaktitva Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2003
Total Pages104
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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