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जैसे बीज होंगे, वैसे ही फल फलेंगे । जैसे विचार होंगे, वैसी वाणी बनेगी । वाणी के अनुरूप व्यवहार होगा। व्यवहार आदत का निर्माण करता है और आदत चरित्र का । चरित्र व्यक्तित्व का आधार है । मात्र विचारों को सार्थक और सकारात्मक दिशा देकर व्यक्तित्व के सभी पहलुओं को बेहतर बनाया जा सकता है।
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