________________
जागरण
भेड़ समझकर भ्रमवश स्वयं को घूमता रहता है भेड़ - समूह के साथ
नृसिंह । दर्शन करता है जब स्व - रूप का
सरोवर के शीशे में हो जाता साक्षात्कार शाश्वत सत्य का फिर तो पर्याप्त है
भेड़ो को भगाने के लिए नृसिंह का एक कदम एक दहाड़,एक गर्जन ।
१६
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org