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क्षणभंगुर
हम क्षणभंगुर,
तुम क्षणभंगुर, खेल रहे हैं
क्षणभंगुरों से क्षणभंगुर। बना रहे हैं आणभंगुर ही
क्षणभंगुरता का इतिहास; शाश्वतता का कैसे हो
फिर हमें विश्वास
कितना पागल संसार ?
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