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मौन की भाषा
विचित्र है
मौन की भाषा बाहर से स्तब्ध भीतर से मुखरित भावों की उत्पत्ति भावों का विनिमय अनंकित हैं शब्द - कोष में वे अभिव्यक्त अर्थ स्वर नहीं आत्मा के संस्कार हैं अगाध अर्थों के अक्षय भण्डार हैं ।
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