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जीवन-शिल्पी
पाषाण
रूप में भद्दा, आकृति में बेडौल जग की दृष्टि में उपेक्षित,
तिरस्कृत उसका मूल्य है कितना ?
शिल्पी
गंभीर मुद्रा में अजित अद्भुत कला से अनवरत कर रहा है चोट पर चोट छैनी हथौड़ी निर्मम कला की ओट ।
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