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________________ जीवन के समक्ष तो अगर संसार भर की सम्पदा भी क्यों न हो, पर वह तभी तक मूल्य रख पाएगी जब तक आदमी के पास उसका अपना जीवन सुरक्षित रहेगा। भला जो जीवन इंसान के लिए इतना बेशकीमती हो, क्या इंसान अपने भीतर इस बात का बोध जगा पाता है कि उसका जीवन हर कारवाँ से ज्यादा मूल्यवान है? अब तक यह बात बहुत दफा सुनी है कि जीवन नश्वर है, अर्थहीन है, क्षणभंगुर है, पर मैं जीवन की यह दृष्टि दूंगा कि अगर जीवन है तो जीवन से जुड़े हुए जगत का भी मूल्य है और अगर जीवन ही न रहे तो जगत स्वयं अर्थहीन हो जाता है। वस्तुतः मूल्य है तो एकमात्र जीवन का ही है। जो लोग मृत्यु को सार्थक साबित करने के लिए मूल्य देते हैं, उनके लिए मैं कहूँगा कि मृत्यु मूल्यवान है, तब भी वह निर्मूल्य है। जीवन को पूरे सौ साल तक जीना होता है और मृत्यु पलक झपकते ही आ जाती है, वह हमारा काम तमाम करती है और चली जाती है। जीवन क्षणभंगुर नहीं हुआ करता है। इंसान की मृत्यु ही क्षणभंगुर हुआ करती है। एक वह इंसान है जो मृत्यु को याद कर-कर के मृत्यु की तरफ बढ़ता चला जाता है और दूसरा वह इंसान है जो जीवन का स्मरण करते हुए जीवन के हर दिन को सार्थक करता चला जाता है। उसी का जीवन धन्य हुआ करता है जिसकी आँखों में जीवन की खुमारी रहती है। उसका जीवन अर्थहीन हो जाया करता है जो अपने हर अगले दिन में मौत की घंटी सुना करता है। जिसकी दृष्टि में जीवन है, वह हर आने वाले कल का उपयोग करेगा और आज का भी। जिसकी नजरों में मृत्यु का साया आ चुका है, वह कल का भी उपयोग न कर पाएगा और आज को भी निराशा और घुटन में बिता देगा। एक दिन भी जी, मगर तू ताज बन कर जी। अटल विश्वास बनकर जी, अमर युगगान बनकर जी।। हम अपने हर दिन को सार्थक करें। जीना वही जीना है जो जीने कैसे जिएँ मधुर जीवन Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003896
Book TitleKaise Jiye Madhur Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2009
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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