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थोड़ी-सी जगह दे दो और हमारी बात को सुनकर फिर उसकी नींद उचकेगी। वह आग-बबूला होकर अपनी लाठी लिए बाहर निकलेगा और हम दोनों को दो-चार लाठियाँ मार ही देगा । लियो, जब उसके द्वारा लाठी मारे जाने के बाद भी हमारे मन में उसके प्रति शांति और समता बनी हुई रहे और इस कदर हमारे साथ दुर्व्यवहार किये जाने के बावजूद हमारे हृदय में उसके प्रति प्रेम और सद्भाव बना हुआ रहे और जो प्रभु की मूरत हम आमतौर पर आम आदमी में स्वीकार करते हैं, जब वही मूरत लाठी मारने वाले चौकीदार में निहार लेंगे तो लियो, तब मानना वह व्यक्ति वास्तविक संत है । वह वास्तविक संत है जो अप्रिय के भीतर भी प्रभु की मूरत स्वीकार करता है और तब प्रेम धन्य हो उठता है और प्रेम के साथ प्रेमी भी धन्य हो जाता है ।'
जब ऐसा प्रेम किसी के अन्तर्हृदय में उतरता है तो कहा जाएगा कि उस व्यक्ति ने जीत लिया अपना स्वभाव | उसने जीत ली अपने मन में उठने वाली आक्रोश की आग । उस व्यक्ति ने जीत ली अपनी कठोरता और क्रूरता। वह व्यक्ति फिर इंसान नहीं होगा। तुम जानना चाहोगे कि वह क्या होगा? मेरा जवाब होगा, 'भगवान'। अब वह डॉग नहीं रहा, वह गॉड हो गया । स्वभाव को वह व्यक्ति जीत पाएगा जो औरों के व्यवहार के प्रति करुणाशील रहेगा। एक तो व्यक्ति उस करुणा को जीता है जहाँ कोई भिखारी आ गया तो उसे दस पैसे दे दिए। ऐसी करुणा को भी आदमी जीता है कि घायल हो कोई पंछी और आपने उसके लिए दस रुपये खर्च करके उसे अस्पताल पहुँचा दिया। मैं उस करुणा की बात करता हूँ, जहाँ आदमी हमारे प्रति बुरा व्यवहार करे मगर फिर भी हम उसके लिए करुणाशील रहें। हमारी करुणा इतनी जीवंत रहनी चाहिए कि कोई भी हमारे प्रति चाहे क्षुद्र व्यवहार क्यों न कर ले, लेकिन हमारे हृदय में उसके प्रति दया रहेगी, करुणा रहेगी।
याद रखें, टक्कर मारने वाला महान् नहीं होता। टक्कर मारने वाले को माफ कर देने वाला महान् होता है । करुणा कोई बाजार में
स्वभाव सुधारें, सफलता पाएँ
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