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________________ चाहूँगा-'व्यवस्थित जीवन'। यदि आप अपने जीवन में व्यवस्था चाहते हैं तो मैं कहूँगा कि हम सबसे पहले अपने समय को व्यवस्थित करें। 'प्लीज एडजेस्ट योर टाइम।' समय सबका सूत्रधार है। अब तक तो आपने सुना होगा कि कोई ब्रह्मा है जो सृष्टि का निर्माण करता है, कोई विष्णु है जो जगत का पालन करता है और कोई महादेव है जो सृष्टि का संहार करता है। पर मैं कहना चाहूँगा कि समय ही ब्रह्मा है, समय ही विष्णु और महादेव है। समय ही व्यक्ति को जन्म देता है और समय ही व्यक्ति का पालन और संहार करता है। ___ जो समय की पाबंदी का ध्यान नहीं रखता, उसके द्वारा बाँधी गई हाथ घड़ी, मात्र भार है या फिर हाथ की शोभा भर। हाथ में घड़ी, समय देखने के लिए नहीं वरन् समय पर चलने के लिए बाँधी जाती है। जो व्यक्ति समय पर नहीं चलते, अच्छा होगा वे महानुभाव अपने हाथ से घड़ी उतार कर रख दें। जैसे उदाहरण के लिए अगर आप मुझे सुनने के लिए आते हैं और समय है पौने नौ बजे। यदि आप पाँच मिनट भी लेट हो जाते हैं, तो मैं कहूँगा कि मुझे सुनने से ज्यादा जरूरी है आप अपने आपको समय के प्रति पाबंद करें। मैं समयबद्ध जीवन-शैली की ही प्रेरणा देता हूँ। यदि हम समयबद्ध न हुए तो मुझे सुनना औचित्यपूर्ण नहीं है। ___ बीता हुआ समय लौट कर नहीं आता। जो लहर निकल चुकी, वह निकल चुकी। जो दिया जल चुका, वह जल चुका। जो बात मैं कह चुका, वह कह चुका। उसकी पुनरावृत्ति नहीं होती। समय निकल जाने के बाद व्यक्ति के हाथ लगेगा आधा-अधूरा ज्ञान, आधी-अधूरी समझ, आधी-अधूरी रोशनी और आधा-अधूरा सिद्धांत। हमारे देश में यह बहुत बड़ी दुविधा है कि यहाँ लोग अपने जीवन का मूल्य नहीं समझते, अपने समय का महत्त्व नहीं जानते। समय को कैसे जिएँ मधुर जीवन २८ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003896
Book TitleKaise Jiye Madhur Jivan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2009
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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