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जरूरी है कि तुम बिखरे हुए साजो-सामान को व्यवस्थित करने की अपने में आदत डालो। तुम सुबह उठकर यदि अपने घर में बिखरे हुए साजो-सामान को व्यवस्थित करते हो, तो यह अपने आप में एक छिपा हुआ योगासन है, व्यायाम है। यदि आपका घर, आपका कमरा बिखरा पड़ा है तो वह कमरा या घर चाहे कितना भी सुन्दर क्यों न हो, किसी गरीबखाने या झुग्गी झोपडी से भी बदतर लगता है। वहीं यदि तुम अपने घर या कमरे को व्यवस्थित रखते हो, तो वह किसी जन्नत का उदाहरण बन जाता है।
हम जीने को एक व्यवस्था दें, जीने के तरीके और जीवन-शैली को व्यवस्थित रखें। कब उठें, कब सोएँ, कब खाएँ, कब घूमें, कब क्या करें? जो अपने जीवन को इस तरह का एक सिस्टम दे देता है, वह एक दिन में भी अनेक काम निपटा लेता है।
कहते हैं, एक व्यक्ति आत्मज्ञान प्राप्त करने के उद्देश्य से एक सद्गुरु के द्वार पर पहुँचा। उसने अन्दर प्रवेश करने के लिए तेजी से दरवाजा खोला, बेतरतीबी से जूते खोले और अन्दर प्रवेश कर गुरु को प्रणाम समर्पित करने के लिए उद्यत हुआ। गुरु ने कहा, 'ठहरो! मुझे प्रणाम समर्पित करने से पहले जाओ उस दरवाजे से माफी मांगो जिसे तुमने बड़ी बेतरतीबी से खोला, उन जूतों से माफी मांगो जिन्हें तुमने बड़ी लापरवाही से खोलकर इधर-उधर फेंक दिया।' व्यक्ति चौंका और बोला, 'जूतों से माफी, दरवाजे से क्षमा, आप कैसी बातें करते हैं?' गुरु बोले, 'वह व्यक्ति कभी आत्मज्ञान प्राप्त करने का अधिकारी नहीं होता, जिसे अपने जीवन में जूते खोलने या दरवाजा खोलने तक की शालीनता और सलीका नहीं आता।
वह व्यक्ति अध्यात्मज्ञान प्राप्त करने का पात्र कभी नहीं होता, जो स्वयं व्यवस्थित न हो। क्या आपने अभी तक यह सोचा है कि अध्यात्मज्ञान प्राप्त करने का पहला चरण क्या है? मैं कहना
व्यवस्थित करें स्वयं को
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