SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 95
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सकारात्मक सोच का स्वामी सदा धार्मिक ही होता है । सकारात्मकता से बढ़कर कोई पुण्य नहीं और नकारात्मकता से बढ़कर कोई पाप नहीं; सकारात्मकता से बढ़कर कोई धर्म नहीं और नकारात्मकता से बढ़कर कोई विधर्म नहीं। कोई अगर पूछे कि मानसिक शांति और तनाव-मुक्ति की कीमिया दवा क्या है, तो सीधा-सा जवाब होगा—सकारात्मक सोच । मैंने अनगिनत लोगों पर इस मंत्र का उपयोग किया है और आज तक यह मंत्र कभी निष्फल नहीं हुआ। सकारात्मक सोच का अभाव ही मनुष्य की निष्फलता का मूल कारण है। शिखर चूमना है, तो पुरुषार्थ करें विचारों में नकारात्मकता के आते ही व्यक्ति उदास और दुःखी हो जायेगा; उसके प्रयास और प्रयत्न नपुंसक हो जाएंगे। जरूरी नहीं है कि व्यक्ति का हर प्रयास अपने पहले चरण में ही सफलता के शिखर को छु जाए। हम असफलताओं से न तो घबराएँ, न विचलित हों । व्यक्ति की हर असफलता सफलता के रास्ते का एक पड़ाव भर है । यह कम ताज्जुब की बात नहीं है कि थॉमस अल्वा एडीसन की एक सफलता के पीछे दस हजार असफलताएँ छिपी हुई रहीं । यदि व्यक्ति अपनी असफलता से हार खा बैठेगा, तो वह जीवन में कभी विजेता नहीं बन सकेगा। असफलता से हार खाने की बजाय हम उसके कारण को तलाशें और पहले से भी ज्यादा जोश और विश्वास के साथ नई सफलता की ओर कदम बढ़ा लें। मैं एक ऐसे व्यक्ति के बारे में चर्चा करूँगा जो कि जीवन के इकीसवें वें वर्ष में व्यवसाय में असफल हो गया था। अपने बाइसवें वर्ष में उसने एक छोटा चुनाव लड़ा, लेकिन नाकामयाब रहा। चौबीसवें वर्ष में वह फिर व्यवसाय में असफल हुआ। सत्ताइसवें वर्ष में उसकी पत्नी का देहान्त हो गया । बत्तीसवें वर्ष में वह कांग्रेस के चुनाव में मात खा बैठा। चालीसवें वर्ष में सीनेट के चुनाव में खड़ा हुआ, लेकिन जीतने में कामयाब न हो सका । यही कोशिश उसने चवालीसवें वर्ष में भी की। सैंतालीसवें वर्ष में उप-राष्ट्रपति के चुनाव के लिए लड़ा, लेकिन भाग्य ने उसका साथ न दिया। तुम्हें यह जानकर आश्चर्य होगा कि इतनी असफलताओं से गुजरने के बाद भी उसका आत्मविश्वास शिथिल नहीं हुआ और जीवन के बावनवें वर्ष में वह अमेरिका का राष्ट्रपति अब्राहिम लिंकन हुआ। क्या यह घटना हमारे लिए प्रेरणा का मंगल सूत्र बनेगी? असफल होना कोई बहुत बड़ी हानि नहीं है, लेकिन सफलता के लिए पुरुषार्थ न करना जीवन की सबसे ८४ ऐसे जिएँ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003895
Book TitleAise Jiye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2001
Total Pages122
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy