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दो मंत्र : मन की शांति के लिए
हर हाल में मस्त रहो—मन की शांति पाने का
यह प्रथम और अन्तिम मंत्र है।
जीवन में एक ही वस्तु ऐसी है, जिसे प्राप्त कर व्यक्ति स्वयं को क्षण-प्रतिक्षण धन्य महसूस करता है और वही एकमात्र ऐसी वस्तु है जिसके अभाव में व्यक्ति स्वयं को मरघट का मुसाफिर अनुभव करता है । क्या आप बता सकते हैं, वह वस्तु क्या है? मेरे देखे, वह वस्तु है-मन की शांति । अनुपम वैभव-मन की शांति
व्यक्ति के मन में शांति है, तो जीवन की थोड़ी-सी सुविधाएँ भी पर्याप्त और सुकूनदेह हो जाती हैं । जिसके जीवन में शांति नहीं, वह अकूत धन-खजाने का मालिक होकर भी खिन्न और दुःखी है। शांति जीवन का सबसे बड़ा वैभव है। आपको ऐसे अनगिनत लोग मिल जाएँगे, जिनके पास अथाह सुख-सुविधाएँ हैं; पैसा भी इतना है कि उनकी सात पीढ़ियाँ भी खाती रहें, तो भी न खूटे, लेकिन आप यह जानकर ताज्जुब करेंगे कि वे मात्र दवाइयों की गोलियाँ खाकर जी रहे हैं । उन्हें दिन में चैन नहीं और रात में नींद नहीं । वे अपने मानसिक तनावों को भुलाने के लिए शराब के शरणागत बने रहते हैं । आखिर उन्हें क्या चाहिए? केवल एक ही वस्तु की तो उन्हें जरूरत है और वह है—मन की शांति । यह एक ऐसी वस्तु है जिसे न खरीदा जा सकता है, न बेचा; जिसका न उत्पादन हो सकता है, न ही संग्रह; जिसे पाने के लिए न तो नौकरी करनी दो मंत्र : मन की शांति के लिए
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